सतीश गुजराल एक बहुमुखी भारतीय कलाकार थे, जो अपनी चित्रकारी, मूर्तिकला, वास्तुकला, और लेखन के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म 25 दिसंबर 1925 को अविभाजित पंजाब के झेलम में हुआ था। उनके बड़े भाई इंद्र कुमार गुजराल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री थे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
श्रवण शक्ति का नुकसान: 13 साल की उम्र में एक दुर्घटना के कारण उनकी श्रवण शक्ति चली गई, जो 1998 में एक सर्जरी के बाद (62 साल बाद) आंशिक रूप से वापस आई।
कला शिक्षा:
1939-1944 के दौरान उन्होंने मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स, लाहौर में पढ़ाई की।
1944-1947 तक उन्होंने जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स, मुंबई से कला शिक्षा प्राप्त की।
1952-1954 के बीच, उन्होंने मेक्सिको सिटी में प्रसिद्ध भित्ति चित्रकार डिएगो रिवेरा और डेविड अल्फारो सिकेरोस से म्यूरल की शिक्षा ली।
कलात्मक शैली और कार्य
सतीश गुजराल की कला पर मेक्सिकन कला का गहरा प्रभाव था। वे एक अभिव्यंजनवादी (Expressionist) और नव-तांत्रिक (Neo-Tantric) कलाकार थे।
भित्तिचित्र (Muralist): वे एक प्रसिद्ध म्यूरलिस्ट के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड फेयर (1963) और मॉरीशस के महात्मा गांधी संस्थान जैसे स्थानों के लिए म्यूरल बनाए।
वास्तुकला (Architect): उन्होंने कई महत्वपूर्ण इमारतों का डिजाइन किया, जिसमें नई दिल्ली स्थित बेल्जियम दूतावास सबसे प्रसिद्ध है। इस इमारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेहतरीन वास्तुशिल्प कार्यों में से एक माना गया।
कोलाज चित्रण: कोलाज उनका एक पसंदीदा माध्यम रहा है, जिसमें वे कागजों को फाड़कर और चिपकाकर अपनी कलाकृति बनाते थे।
प्रमुख कृतियाँ:
'विलाप' (चित्र)
'कंस्ट्रक्शन' (1973): स्टील और मिश्रित माध्यम से बनी यह कृति ललित कला अकादमी में संग्रहित है।
'गणेश': मिश्रित माध्यम में निर्मित यह कलाकृति राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली में है।
'प्लेमेट्स' (एक्रेलिक)
'क़व्वाल' और 'द सेलिब्रेशन' श्रृंखला
'शक्ति एंड गणेश' (मूर्ति): इस पर आदिवासी कला का प्रभाव दिखाई देता है।
पुरस्कार और सम्मान
ऑर्डर ऑफ द क्राउन: 1977 में बेल्जियम सरकार द्वारा यह सम्मान प्राप्त करने वाले वह पहले गैर-बेल्जियम नागरिक थे।
पद्म विभूषण: 1999 में भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय सम्मान: भारत के राष्ट्रपति ने उन्हें स्वर्ण पदक से सम्मानित किया था।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
देश विभाजन: वे देश विभाजन के बाद भारत आए शरणार्थी कलाकारों में से एक थे।
फिल्म: 2007 में वह बीबीसी की टेलीविज़न फिल्म 'पार्टिशन: दी डे इंडिया बर्नड' का हिस्सा बने।
मोनोग्राफ: ललित कला अकादमी ने उनकी कलात्मक उपलब्धियों पर एक मोनोग्राफ प्रकाशित किया है।
प्रसिद्ध व्यक्ति: उन्होंने लाला लाजपत राय, मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद और मिर्ज़ा गालिब जैसे प्रमुख व्यक्तियों के चित्र भी बनाए।
कला प्रदर्शनी: उन्होंने न्यूयॉर्क, लंदन और पेरिस सहित अमेरिका में 10 प्रदर्शनियाँ आयोजित कीं।
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