भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India – ASI) भारत सरकार का प्रमुख संगठन है, जो देश की ऐतिहासिक धरोहरों, स्मारकों और पुरातात्त्विक स्थलों के संरक्षण एवं अध्ययन का कार्य करता है। इसकी स्थापना 1861 ई. में लॉर्ड कैनिंग द्वारा की गई थी और इसके प्रथम महानिदेशक (Director-General) अलेक्ज़ेंडर कनिंघम बने। आज यह संस्था भारत की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा एवं उसके वैज्ञानिक अध्ययन में अग्रणी भूमिका निभा रही है।\

इतिहास एवं विकास

  1. प्रारम्भिक चरण (1784–1860)

    • 1784 में विलियम जोन्स द्वारा एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना की गई।

    • 1810 में बंगाल रेगुलेशन XIX लागू हुआ, जो स्मारक संरक्षण का पहला कानूनी प्रयास था।

    • 1837 में जेम्स प्रिन्सेप ने ब्राह्मी लिपि का सफलतापूर्वक पढ़ना प्रारम्भ किया।

  2. स्थापना और विस्तार (1861–1904)

    • 1861 में ए. कनिंघम के नेतृत्व में ASI की स्थापना हुई।

    • 1871 में इसे पुनर्गठित कर स्थायी स्वरूप दिया गया।

    • जेम्स बर्गेस और अन्य अधिकारियों ने इंडियन एंटीक्वेरी तथा एपिग्राफिया इंडिका जैसे शोध पत्र प्रारम्भ किए।

  3. कर्ज़न सुधार और सिंधु सभ्यता (1902–1928)

    • 1904 में प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम (Ancient Monuments Preservation Act) पारित हुआ।

    • जॉन मार्शल के काल (1902–1928) में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से सिंधु घाटी सभ्यता की खोज हुई।

  4. स्वतंत्रता से पूर्व और बाद (1944–वर्तमान)

    • मोर्टिमर व्हीलर (1944–48) ने वैज्ञानिक उत्खनन पद्धति लागू की।

    • स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय संग्रहालय (1949) की स्थापना हुई।

    • 1972 में प्राचीन वस्तुएँ एवं कला निधि अधिनियम लागू किया गया।

    • 1981 में देबाला मित्रा प्रथम महिला महानिदेशक बनीं।

संरचना एवं कार्य

  • वर्तमान में ASI के अधीन 3650 से अधिक संरक्षित स्मारक हैं।

  • संगठन संरचना – महानिदेशक (DG) → अतिरिक्त महानिदेशक → संयुक्त महानिदेशक → 17 निदेशक।

  • देशभर में 34 सर्कल तथा 3 मिनी सर्कल कार्यरत हैं (जैसे दिल्ली, हम्पी, लेह आदि)।

  • इसके अंतर्गत 50 से अधिक संग्रहालय तथा केंद्रीय पुरातात्त्विक पुस्तकालय (स्थापित 1902) आते हैं।

वैज्ञानिक संरक्षण

  • 1917 में विज्ञान शाखा स्थापित हुई।

  • रासायनिक संरक्षण, धातु/पत्थर/चित्रकला का संरक्षण तथा प्रयोगशाला आधारित अध्ययन इसके अंतर्गत आता है।

प्रकाशन

  • एपिग्राफिया इंडिका (1882 से)

  • साउथ इंडियन इंसक्रिप्शंस

  • इंडियन आर्कियोलॉजी: ए रिव्यू (1953 से प्रतिवर्ष)

  • एंशिएंट इंडिया (1946 से)

आलोचना एवं चुनौतियाँ

  • 2013 की CAG रिपोर्ट में 92 स्मारक "लापता" बताए गए।

  • सुप्रीम कोर्ट (2018) ने ताजमहल संरक्षण में ASI की विफलता पर टिप्पणी की।

  • अपर्याप्त बजट, राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासनिक अक्षम्यता जैसी समस्याएँ लगातार बनी हुई हैं।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने पिछले डेढ़ सौ वर्षों में भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। यद्यपि चुनौतियाँ अनेक हैं, फिर भी यह संस्था भारत की प्राचीन सभ्यता, कला और स्थापत्य के अध्ययन एवं संरक्षण की आधारशिला मानी जाती है।

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