हाल ही में, दो प्राचीन भारतीय ग्रंथों, श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर' में शामिल किया गया है। यह इन ग्रंथों के वैश्विक महत्व और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
1. श्रीमद्भगवद्गीता (Srimad Bhagavad Gita)
परिचय: यह महाभारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे 'गीता' भी कहते हैं। इसमें 18 अध्याय और लगभग 700 श्लोक हैं।
विषय-वस्तु और महत्व: यह कुरुक्षेत्र के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद पर आधारित है। इसमें कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग के सिद्धांतों का गहन वर्णन है। यह सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन, कर्तव्य और नैतिकता पर एक सार्वभौमिक दार्शनिक मार्गदर्शक है।
शामिल होने का कारण: इसे इसकी दार्शनिक गहराई, साहित्यिक मूल्य और दुनिया भर के विचारकों पर इसके प्रभाव के कारण रजिस्टर में शामिल किया गया।
2. भरत मुनि का नाट्यशास्त्र (Bharat Muni's Natyashastra)
परिचय: यह भरत मुनि द्वारा लिखित एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है, जिसे भारतीय कलाओं जैसे रंगमंच, संगीत और नृत्य का सबसे पुराना और प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है।
विषय-वस्तु और महत्व: इसे कलाओं का एक विश्वकोश कहा जाता है। इसमें अभिनय के चार प्रकार, रस सिद्धांत (आठ मूल रस), और संगीत, नृत्य व रंगमंच वास्तुकला से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गई है। यह आज भी भारतीय शास्त्रीय कलाओं का आधार है।
शामिल होने का कारण: इसे कला के मूल स्रोत, भारतीय सांस्कृतिक परंपरा की निरंतरता और इसके सिद्धांतों की सार्वभौमिक अपील के कारण रजिस्टर में जगह मिली।
यूनेस्को 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर' का महत्व
यह रजिस्टर किसी भी दस्तावेज़ या ग्रंथ को वैश्विक मान्यता प्रदान करता है। इसमें श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल करना भारत के ज्ञान और कलात्मक परंपराओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो भावी पीढ़ियों के लिए इन अनमोल विरासतों को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।
यूनेस्को 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर'
यह 1992 में यूनेस्को द्वारा शुरू की गई एक अंतरराष्ट्रीय पहल है। इसका मुख्य उद्देश्य दुनिया की महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासतों की पहचान करना, उनका संरक्षण करना और उन्हें लोगों तक पहुंचाना है। इसमें ऐतिहासिक दस्तावेज़, पांडुलिपियाँ, दुर्लभ पुस्तकें, फ़िल्में और ऑडियो रिकॉर्डिंग जैसी चीजें शामिल होती हैं जिनका ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या सामाजिक महत्व होता है।
रजिस्टर में शामिल भारतीय कृतियाँ
आपके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कुल 14 भारतीय कृतियाँ इस रजिस्टर में शामिल की गई हैं। यहाँ उनकी सूची और संबंधित वर्ष दिए गए हैं:
1997: आई.ए.एस. तमिल चिकित्सा पांडुलिपि संग्रह
2005: शैव पांडुलिपियाँ
2007: ऋग्वेद
2011: तारिख-ए-खानदान-ए-तिमूरियाह
2011: लघुकालचक्रतंत्रराज टीका (विमलप्रभा)
2013: शांतिनाथ चरित
2017: गिलगित पांडुलिपियाँ
2017: मैत्रेयव्याकरण
2023: अभिनवगुप्त संग्रह
2024: रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोचन (यह पहली बार था जब एक ही बार में भारत की तीन कृतियों को शामिल किया गया)।
2025: श्रीमद् भगवद् गीता और नाट्यशास्त्र
हाल ही में शामिल हुई कृतियाँ
2024: रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोचन को एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी' (MOWCAP) रजिस्टर में शामिल किया गया था।
2025: श्रीमद् भगवद् गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के वैश्विक 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर' में शामिल किया गया है। इन दोनों को मिलाकर, इस अंतरराष्ट्रीय सूची में अब भारत की 14 प्रविष्टियाँ हो गई हैं।
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