ओरिगामी, कागज़ को मोड़कर कलाकृतियाँ बनाने की एक प्राचीन जापानी कला है। इसका इतिहास कागज़ के आविष्कार के बाद शुरू हुआ। कागज़ को जापान में चीन के बौद्ध भिक्षुओं द्वारा छठी शताब्दी में लाया गया था। शुरुआती दिनों में, कागज़ बहुत महंगा था, इसलिए इसका उपयोग केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए होता था।
ओरिगामी शब्द दो जापानी शब्दों से मिलकर बना है:
ओरी (Ori): जिसका अर्थ है 'मोड़ना' (Fold)।
कामी (Kami): जिसका अर्थ है 'कागज़' (Paper)।
इस कला की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें कागज़ को मोड़ा जाता है, लेकिन इसमें कुछ भी जोड़ा या काटा नहीं जाता। यही कारण है कि ओरिगामी को एक विशिष्ट कला का दर्जा प्राप्त है।
ओरिगामी का विकास
19वीं सदी में, किंडरगार्टन के जनक फ्रेडरिक फ्रोबेल ने बच्चों के विकास के लिए कागज़ मोड़ने की कला को शिक्षण का एक हिस्सा बनाया। इसके बाद, जोसेफ अल्बर्स जैसे कला के जानकारों ने भी डिजाइन स्कूलों में ओरिगामी को पढ़ाया, जिससे यह कला धीरे-धीरे विकसित होती गई।
प्रसिद्ध ओरिगामी डिजाइन
सबसे प्रसिद्ध ओरिगामी डिजाइन 'जापानी सारस' (Japanese crane) है। जापान में यह माना जाता है कि जो व्यक्ति 1000 कागज़ के सारस बनाता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
ओरिगामी की तकनीकें और प्रकार
ओरिगामी में कई तरह की तकनीकें और प्रकार होते हैं, जैसे:
घाटी और पर्वत मोड़ (Valley and Mountain Fold)
पतंग आधार मोड़ (Kite Base Fold)
जल बम मोड़ (Water Bomb Fold)
रैबिट ईयर फोल्ड (Rabbit Ear Fold)
क्रम्प और सिंक (Crimp and Sink)
ओरिगामी के प्रकार:
एक्शन ओरिगामी: इसमें उड़ने वाली आकृतियाँ बनाई जाती हैं।
मॉड्यूलर ओरिगामी: एक ही तरह के कई टुकड़ों को जोड़कर एक पूरी आकृति बनाई जाती है।
वेट-फोल्डिंग ओरिगामी: इस तकनीक में हल्के घुमाव वाले मॉडल बनाने के लिए गीले कागज़ का उपयोग होता है।
प्योरलैंड ओरिगामी: इसमें केवल साधारण माउंटेन और वैली फोल्ड का इस्तेमाल होता है।
किरिगामी: यह कागज़ काटने की एक जापानी कला है (ओरिगामी से अलग)।
ओरिगामी के लिए कागज़ और सामग्री
ओरिगामी के लिए विशेष प्रकार के कागज़ का उपयोग होता है। ये एक तरफ रंगीन और दूसरी तरफ सफेद होते हैं, हालाँकि दोनों तरफ रंगीन कागज़ भी मिलते हैं। जापान में पारंपरिक रूप से "वाशी" नामक कागज़ का उपयोग होता है, जो शहतूत के रेशों से बनाया जाता है।
ओरिगामी में इस्तेमाल होने वाली सामान्य सामग्री में कागज़, पेंसिल, इरेज़र, गोंद, कैंची, और टेप शामिल हैं।
भारत में भी ओरिगामी कला की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। आज के कलाकार इसे अपने तरीके से अपना रहे हैं और इसमें नई चीजें सीख रहे हैं।
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