'जिंदगी रिटायर नहीं होती' नाटक के मंचनार्थ मध्य प्रदेश की यात्रा दौरान 12 अगस्त 2008 को रतलाम के समीप हार्ट अटैक से दुनिया छोड़ गए कलाकार आदित्य प्रकाश को उनके जन्म के शताब्दी वर्ष में कल शाम पंजाब कला भवन में एक गरिमा पूर्ण आयोजन में खूब याद किया गया। स्वर्गीय आदित्य प्रकाश का जन्म 10 मार्च 1924 को हुआ था।वह अपने समय में आधुनिक वास्तु कला के क्षेत्र की उभरती हुई नामी हस्ती थे । साथ ही वह छायाकार, चित्रकार, पेंटर, कवि, लेखक, थिएटर आर्टिस्ट और थे शिक्षाविद भी।
अपने संघर्षशील शुरुआती जीवन ने उनमें गरीबों के प्रति विशेष संवेदनशीलता भर दी थी। बतौर आर्किटेक्ट वर्ष 1952 से वह चंडीगढ़ कैपिटल प्रोजेक्ट के सक्रिय सदस्य थे। 1963 से 68 दौरान उन्होंने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के वास्तुविद का कार्य किया और फिर 1968 से चंडीगढ़ कॉलेज आफ आर्किटेक्चर में कार्यरत रहे और बतौर प्राचार्य सेवानिवृत हुए। प्राचार्य बतौर उन्होंने संस्थान एंव विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण
यादगार मार्गदर्शन दिया।
कल पंजाब कला भवन की सोभा सिहं कला दीर्घा में उनके विद्यार्थियों, सहयोगियों, और बुद्धिजीवियों ने 'आदित्य प्रकाश :ए प्रेजेंटेशन इन फ्री वर्स' में उनके योगदान की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की। उनकी स्थापत्यकला के नमूने मसलन चंडीगढ़ का पुराना' टैगोर थियेटर', चंडीगढ़ का पहला सिनेमा घर 'नीलम थिएटर', सेक्टर 23 का 'जंज-घर' और आवासीय सैक्टरों में व्यवस्थित रेहड़ी बाजार, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना इत्यादि यादगार निर्माण सदा उनकी याद दिलाते रहेंगे।
इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी में उनके वास्तु शिल्प के साथ-साथ, उनकी तीन पुस्तकें, फोटोग्राफ्स, पेंटिंग्स, म्यूरल, डिजाईन्ड फर्नीचर सहित अन्य प्रादर्श प्रदर्शित किए गए हैं। प्रदर्शनी 23 अगस्त तक प्रतिदिन सुबह11बजे से शाम 7 बजे तक दर्शकों के लिये खुली रहेगी । साथ ही कल उद्घाटन अवसर पर दृश्य एवं श्रव्य माध्यम से उनके कामों को खूबसूरती से उजागर किया गया। इस सफल आयोजन के लिए आर्किटेक्ट सुश्री दीपिका गांधी, आर्टिस्ट ईशान, आर्किटेक्ट सुमित कौर,पूर्व चीफ आर्किटेक्ट कपिल सेतिया, पंजाब कला भवन प्रमुख जनाब सवि साहब, पंजाब ललित कला अकादमी के प्रधान गुरदीप धीमान सहित व्यक्तिगत संग्रह से प्रदर्शन हेतु प्रादर्श उपलब्ध कराने वाले सभी विशेष साधुवाद के पात्र हैं।
दरअसल कल सुबह से ही पंजाब कला भवन में स्थापत्यकारों का बोलबाला रहा। जहाँ कल की शाम आर्किटेक्ट आदित्य प्रकाश पर केंद्रित थी , वहीं सुबह के एक कार्यक्रम में चंडीगढ़ आर्किटेक्चर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर एस एस भट्टी की लिखी पांच पुस्तकों का भी विमोचन हुआ। अब तक तीस किताबें लिख चुके 88 वर्षीय डॉक्टर भट्टी आज भी प्रतिदिन तीन से चार घंटे तक नियमित रूप से लेखन कार्य कर रहे हैं। साथ ही वह परहित सेवा कार्यों में भी शिरकत करने से कोई गुरेज़ नहीं करते।
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