धनराज भगत (1917-1988)

 

धनराज भगत: जीवन परिचय

  • जन्म: 1917 में लाहौर (अब पाकिस्तान) में।

  • निधन: 1988 में।

  • शिक्षा: मेयो कॉलेज ऑफ आर्ट्स, लाहौर से मूर्तिकला में डिप्लोमा प्राप्त किया।

  • पेशा: वे मूर्तिकार और चित्रकार दोनों थे। उन्होंने नई दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट में HOD (विभागाध्यक्ष) के रूप में कार्य किया और वहीं से सेवानिवृत्त हुए।


कलात्मक शैली और उपलब्धियां

  • कला शैली:

    • धनराज भगत ने अपनी मूर्तियों को घनवादी (Cubist) और ज्यामितीय तकनीक में गढ़ा।

    • वे यथार्थवाद से भी प्रभावित थे।

    • उनकी कला में पेपरमेसी, सीमेंट, कास्टिंग, धातु ढलाई, सिरेमिक, लकड़ी और पत्थर जैसे विभिन्न माध्यमों का प्रयोग होता था।

  • पुरस्कार और सम्मान:

    • पद्म श्री: 1977 में भारत सरकार द्वारा सम्मानित।

    • ललित कला अकादमी का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।

    • ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स का प्रथम पुरस्कार (1947)।

    • कोलकाता की एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स और पंजाब फाइन आर्ट्स सोसाइटी से भी पुरस्कार मिले।

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियाँ: उन्होंने 1947-48 में लंदन की इंडियन आर्ट एग्जीबिशन और 1956 में पूर्वी यूरोप की भारतीय कला प्रदर्शनी में भाग लेकर भारतीय मूर्तिकला का प्रदर्शन किया।

  • संग्रहालय और पार्क:

    • 2010 में राजकीय कला महाविद्यालय, चंडीगढ़ में धनराज भगत स्कल्पचर पार्क की स्थापना हुई।


प्रमुख कृतियाँ और संग्रह

  • द कौस्मिक मैन (The Cosmic Man):

    • यह मूर्तिशिल्प सीमेंट और प्लास्टर से बना है।

    • यह मानव को ज्यामितीय आकार में दिखाता है, जिसके ऊपरी भाग में अर्धचंद्र है, जो इसे एक अंतरिक्ष मानव के रूप में दर्शाता है।

    • यह ललित कला अकादमी, नई दिल्ली में संग्रहित है।

  • शीर्षकहीन (मोनार्क शृंखला):

    • लकड़ी, ताम्रपत्र और कीलों का उपयोग करके बनाई गई है।

    • यह शासक को जनप्रतिनिधि के रूप में दर्शाती है।

  • अन्य प्रमुख मूर्तिशिल्प:

    • द किंग (लकड़ी और पीतल की कीलें)

    • बांसुरी वादक (वेल्डेड कॉपर)

    • सितार वादक (सीमेंट)

    • शिवा डांस (प्लास्टर)

    • द किस (लकड़ी)

    • स्टैंडिंग फिगर

    • म्यूजिकल कंस्ट्रक्शन

    • थर्ड आई

    • झोपड़ी (दृश्य चित्र)

    • द बर्ड

    • पिजन

    • पीकॉक

    • टॉइलेट

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