अमर नाथ सहगल (1922–2007)

 

अमर नाथ सहगल आधुनिक भारतीय मूर्तिशिल्पकारों में अग्रणी रहे। वे भारतीय कॉपीराइट अधिनियम के अंतर्गत अपने moral rights की रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने वाले पहले भारतीय कलाकारों में से एक थे।

विज्ञान भवन प्रकरण (1957–1979)
1957 में उन्होंने विज्ञान भवन, नई दिल्ली के लिए एक भित्ति चित्र (mural) बनाया। लेकिन 1979 में बिना अनुमति इसे हटा दिया गया। इस पर सहगल ने अदालत का रुख किया और मुकदमा जीत लिया। यह भारतीय कला-जगत के लिए कलाकारों के अधिकारों की एक ऐतिहासिक मिसाल बनी।

जीवन यात्रा

  • जन्म: 5 फरवरी 1922, कैम्पबेलपुर (अब अटॉक, पाकिस्तान)

  • परिवार: राम आसरा मल और परमेश्वरी देवी के सात बच्चों में चौथे

  • शिक्षा: लाहौर में पढ़ाई (औद्योगिक रसायन और भौतिकी में डिग्री)

  • 1948 में न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में कला का अध्ययन

  • 1951: भारत लौटकर सरकार के साथ लोक कला पुनर्जीवन कार्यों में योगदान

  • 1966: सरकारी नौकरी छोड़ यूरोप चले गए, यात्रा की और कला साधना की

  • 1979: लक्ज़मबर्ग में स्टूडियो स्थापित किया, वहीं और भारत में समय बाँटकर जीवन बिताया

  • 1993: ललित कला अकादमी फैलोशिप

  • निधन: 2007

  • 2008: मरणोपरांत पद्म भूषण

कला शैली और योगदान

  • माध्यम: मूर्तिकला, चित्रकला, टेपेस्ट्री, ग्राफिक आर्ट, कविता लेखन

  • पश्चिमी कला से प्रभावित, किंतु लोक कलाकारों के साथ लंबे काम से भारतीय परंपरा का गहरा प्रभाव

  • उनके अनुसार—

    “रचना करने के लिए कलाकार को अपने माध्यम के साथ एकाकार होना पड़ता है, ताकि उसकी भावनाएँ अथवा विचार पत्थर या धातु में साकार हो सकें।”

प्रमुख कलाकृतियाँ

  • Cynic (1962) – कांस्य (marble base सहित)

  • Lovers (1980) – कांस्य

  • Ballerina (1995) – कांस्य (marble base सहित)

विरासत और संग्रहालय
2019 में अमर नाथ सहगल प्राइवेट कलेक्शन, नई दिल्ली में स्थापित किया गया। यह गैर-लाभकारी संग्रहालय उनके कार्यों को सहेजने, शिक्षा और कला-संस्कृति के संरक्षण हेतु समर्पित है। यह संग्रहालय उनके निजी अभिलेखागार को सशक्त करते हुए राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर उनकी कला को बढ़ावा दे रहा है।

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