भारतीय कला और कलाकार
बौद्ध पुस्तक ताम्र पट्टीका पर लिखी गई है।
जगदीश गुप्त भारतीय प्रागैतिहासिक चित्रकला के लेखक थे।
भारतीय सौंदर्यशास्त्र का मूल स्रोत धर्म और दर्शन है।
सदानंद बाकरे का जन्म 1920 में हुआ था।
उषा अनिरुद्ध और नल दमयंती का चित्रण चंबा में चित्रकार निक्का ने किया।
यामिनी राय ने संथाल स्त्रियों को प्रमुख रूप से चित्रित किया।
डी. पी. राय चौधरी एक प्रसिद्ध मूर्तिकार थे।
परमानंद चोयल 'भैंसों के कलाकार' के नाम से प्रसिद्ध हैं।
'बाउल गायन' बंगाल का एक लोक गीत है।
नैनसुख गुलेर शैली का चित्रकार था।
भूपेन खक्कर के प्रमुख चित्र हैं- 'पोट्रेट ऑफ शंकर भाई पटेल', 'जलेबी खाता हुआ आदमी', 'गोवा के मछुआरे'।
अवनिंद्रनाथ टैगोर को कला जगत में "अवनी बाबू" के नाम से जाना जाता था।
'इनर जंगल' चित्र श्रृंखला देवकीनंदन शर्मा की है।
मुकुल डे एक प्रसिद्ध प्रिंटमेकर थे। वे अन्य तीन (अमृता शेरगिल, एन.एस. बेंद्रे, और के.एस. पन्निकर) से असंबद्ध हैं।
राय कृष्णदास ने पटना शैली को बाजार शैली का नाम दिया था।
मथुरा कला में ब्राह्मण, जैन और बौद्ध धर्मों का संगम दिखाई देता है।
धनराज भगत का जन्म 1917 में हुआ था।
'आर्ट टुडे' पत्रिका का संपादन जोगेंद्र चौधरी ने किया था।
के.जी. सुब्रमण्यम मूर्तिकार और भित्तिकार दोनों थे।
मारियो मिरांडा एक प्रसिद्ध व्यंगचित्रकार थे।
अवतार सिंह पंवार 'सुजाता' के चित्रकार हैं।
राजस्थान की जयपुर शैली के भित्तिचित्र सूखी सतह पर बनाए गए हैं।
'ब्लैक पेजेज ऑफ द इंडियन रिपब्लिक' चित्र श्रृंखला रणवीर सिंह बिष्ट की है।
ढोला-मारू विषयक चित्र मेवाड़ शैली से संबंधित हैं।
भारत में राष्ट्रीय प्रेस के संस्थापक राजा राममोहन राय माने जाते हैं।
राम कुमार का जन्म 1924 में हुआ था।
'अनुकरण का सिद्धांत' अरस्तु ने दिया।
मार्च 2013 में गणेश पाई का कोलकाता में निधन हुआ था।
अकबर और जहांगीर काल में शबीह (पोट्रेट) शैली पर विशेष प्रभाव पड़ा।
प्राचीन भारतीय इतिहास और कला
जयदेव सेन राजवंश के कवि थे।
सिंधु सभ्यता में प्राप्त पूर्ण परिपक्व प्रामाणिक छह स्थानों को नगरों की संज्ञा दी गई है।
सिंधु घाटी सभ्यता में मोहरों का उपयोग व्यापार के लिए होता था।
'हम्जानामा' में सुंदर लेख अताउल्ला काजवानी ने लिखे हैं।
चित्रसूत्र का उल्लेख विष्णु पुराण में पाया जाता है।
पाषाणयुगीन कलाकार आखेटक (शिकारी) होते थे।
मिट्टी के बर्तनों का आविष्कार नवपाषाण काल में हुआ था।
'बुलजम्पर' नामक भित्तिचित्र मिनोन सभ्यता से प्राप्त है।
ताड़ पत्र पर काली स्याही से लिखा जाता था।
हाजी बेगम ने हुमायूँ का मकबरा बनवाया था।
मुगल और पहाड़ी कला
अकबर ने महान संगीतज्ञ हरिदास से भेंट की थी।
अकबर की मृत्यु दीनपनाह नगर स्थित पुस्तकालय से गिरकर हुई थी।
अकबर के मकबरे में मुगल वंश के अधिकतर लोग दफन किए गए हैं।
'बालक अकबर अपने पिता को चित्र भेंट करते हुए' चित्र बसावन ने बनाया था।
इल्तुतमिश ने बारह खंभा महल का निर्माण करवाया था।
अंडाकार रूप व्यक्ति चित्र पहाड़ी शैली में बने हैं।
'अमीर हम्जा' प्रति के 61 पृष्ठ इलाहाबाद संग्रहालय में सुरक्षित हैं।
मुगलकाल का प्रसिद्ध 'चिड़ियों का चितेरा' मंसूर था।
उस्ताद मंसूर की श्रेष्ठ कृतियाँ 'टर्की कॉक', 'मोर-मोरनी' और 'लाल फूलों का समूह' हैं।
मुगल चित्रों में रंगों को तीन वर्गों में रखा गया: खनिज, वानस्पतिक और रासायनिक।
अकबर कालीन चित्रकारों में सर्वाधिक संख्या हिंदू चित्रकारों की थी।
'कन्नौज का युद्ध' के बाद हुमायूँ को भारत छोड़कर जाना पड़ा था।
वह मुगल बादशाह जो ज्योतिष विद्या का अच्छा जानकार था, हुमायूँ था।
'शीरी कलम' की उपाधि अब्दुस्समद को दी गई थी।
मीर सैय्यद अली शिराज का निवासी था।
'शिकार' के चित्र सबसे अधिक मुगल शैली में बने।
'अकबर' के काल में चित्रकला पर विशेष प्रभाव पड़ा था।
आधुनिक और पश्चिमी कला
'गुलाम के साथ ओडेलिक' चित्र इंग्रेस का है।
'विगी लीवर्न' नामक महिला चित्रकार को ख्याति व्यक्ति चित्र से मिली।
'रियलिज्म', 'रोमांटिज्म' और 'प्री-रफेललिटिज्म' के बजाय, 1715 ई. के लगभग इंग्लैंड में उत्पन्न भवन निर्माण कला को पैलेडियनिज्म कहा जाता है।
'बोहॉस' कला की स्थापना 1919 में हुई थी।
'द एनालिसिस ऑफ ब्यूटी' को विलियम होगार्थ ने प्रकाशित किया।
'दर्शन ही प्लेटो और प्लेटो ही दर्शन है' कथन इमर्सन का है।
'ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए जीनियस' साल्वाडोर डॉली की आत्मकथा है।
'किमोन' को 'स्थिति लाघव' (संक्षेप में) देखने वाला प्रथम यूनानी चित्रकार माना जाता है।
विविध
भारत का पहला डाक टिकट 1947 में जारी हुआ था।
विश्व में डाक टिकट का जनक सर रोवलैंड हिल (ब्रिटेन) को माना जाता है।
हाजी बेगम ने हुमायूँ का मकबरा बनवाया था।
प्रथम कालिदास सम्मान कलाकार रामकिंकर बैज को मिला था।
जहाज महल मांडू में है।
टेंपरा तकनीक का प्रयोग एक्रेलिक रंग में करते हैं।
'दिपर' टेक्सटाइल से संबंधित है।
हुमायूँ के मकबरे में मुगल वंश के अधिकतर लोग दफन किए गए हैं।
जापान द्वारा जारी की गई डाक टिकट में जटायु को सीता की रक्षा करते हुए दिखाया गया है।
प्रयागराज में नगर पालिका संग्रहालय स्थित है।
रस कला की आत्मा है, यह कथन भरतमुनि का है।
'अप्रोच टू इंडियन आर्ट' के लेखक निहार रंजन रे हैं।
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