भारतीय कला और कलाकार
अर्पणा कौर ने समुद्री जीवन और बुद्ध के जीवन पर चित्रण किया।
कृष्ण रेड्डी हैदराबाद से संबंधित हैं।
रविंद्रनाथ टैगोर के चित्रों की पहली प्रदर्शनी 1930 में पेरिस में हुई थी।
बी.सी. सान्याल को ललित कला से सम्मान 1984 में मिला था।
अवतार सिंह पंवार एक मूर्तिकार थे।
भोपाल स्थित 'भारत भवन' के संस्थापक जे. स्वामीनाथन थे।
लक्ष्मा गौड़ को भारत सरकार ने 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया।
मुल्क राज आनंद प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप (पैग) के सचिव थे।
पाल शैली का चित्रण विषय बौद्ध धर्म रहा है।
राय कृष्णदास ने जैन शैली को अपभ्रंश शैली नाम दिया।
'बैल' के प्रसिद्ध चित्रकार तैयब मेहता थे।
'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया' बम्बई से प्रकाशित होती थी।
अमरावती को धारणीकोट (धान्यकटक) के नाम से जाना जाता था।
'पोएट ऑन द आइलैंड ऑफ वर्ड्स' नामक जल रंग चित्र अवनींद्रनाथ टैगोर ने चित्रित किया।
रथिन मित्रा बंगाल शैली के कलाकार नहीं थे।
के.बी. जेना मूर्तिकला से जुड़े हैं।
गोवर्धन द्वारा बनाया गया प्रसिद्ध चित्र है 'सम्राट जहांगीर राजकुमार खुर्रम से भेंट करते हुए'।
जी.आर. संतोष द्वारा बनाया गया चित्र 'रूप अग्नि' है।
उस्ताद मंसूर का चित्र 'लाल पुष्प' है।
पाल शैली का विकास भारत की पूर्व दिशा में हुआ।
'बृहत संहिता' के लेखक वाराहमिहिर हैं।
के.के. हेब्बर की मृत्यु 1996 में मुंबई में हुई थी।
रघु राय एक प्रसिद्ध फोटोग्राफर हैं।
महा सुंदरी देवी का निधन 4 जुलाई 2013 को हुआ था।
अर्पिता सिंह को भारत का पद्मभूषण सम्मान 2011 में मिला।
'अंडर कटिंग' शब्द मूर्तिकला से संबंधित है।
नीरजा भनोट अशोक चक्र पाने वाली पहली भारतीय महिला हैं।
के.एस. कुलकर्णी दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट से जुड़े रहे।
पश्चिमी कला और कलाकार
विलियम होगार्थ एक ब्रिटिश दृश्य चित्रकार थे।
विलियम होगार्थ इंग्लैंड के निवासी थे।
'लंचिंग ग्रास' नामक पेंटिंग माने ने बनाई है।
'द मॉर्निंग बाथ' का चित्रकार डेगा था।
'तीन ताहितीवासी' का चित्रकार पॉल गॉगिन है।
'द स्टारी नाइट' के चित्रकार विंसेंट वान गॉग हैं।
यूरोप में 'डिवाइन पेंटर' राफेल को कहा जाता है।
'जापानीज वॉर गॉड' पाब्लो पिकासो की कृति है।
'मेडूसा का बेड़ा' के कलाकार जेरिकॉल्ट हैं।
'पेरिस का निर्णय' के कलाकार रूबेंस थे।
क्लाउड मोने को 'पेंटर ऑफ सीरीज' कहते हैं।
कंडिंस्की ने 'ब्लू राइडर' नामक नव आंदोलन की पहल की थी।
'द पेंटर्स स्टूडियो' चित्रकार कुर्बे ने चित्रित किया।
जॉर्ज सोरा नवप्रभाववाद के प्रणेता थे।
'स्नान स्थल' नामक प्रथम नवप्रभाववादी चित्र जॉर्ज सोरा ने बनाया।
'ताश के खिलाड़ी' चित्र पॉल सेज़ान ने चित्रित किया।
'जॉय ऑफ लाइफ' पेंटिंग हेनरी मातिस की है।
'मुर्गा' पिकासो की मूर्ति है।
'मानवतावाद' पुनरुत्थानवाद की कुंजी है।
'ट्रांसफिगरेशन' चित्र राफेल ने बनाया।
जॉर्ज ब्रैक और पिकासो ने 'घनवाद' शैली को जन्म दिया।
मातिस एक जंगलवादी चित्रकार थे।
गोथिक युग के कलाकार जियोटो के चित्रों ने आरंभिक पुनर्जागरण को जन्म दिया।
हेगेल ने ललित कला (फाइन आर्ट) का वर्गीकरण किया।
कला सिद्धांत और तकनीक
कलश पर आम्र पल्लव समर्पित प्रेम का प्रतीक है।
विभिन्न प्रकार के रंगों का मिश्रण वर्णिका भंग कहलाता है।
प्रमाण की दृष्टि से 'कुमार' को आठ तालों में बांटा गया है।
कलश काजल वैभव का प्रतीक है।
वह पोत जो यंत्रों तथा साधनों से पैदा किया जाता है, उसे सृजित पोत कहते हैं।
संयोजन के सिद्धांत में अनुपात प्रमाण को प्रकट करता है।
कला की दृष्टि से 'शांत रस' नौवां रस है।
काव्य शास्त्र में नौ रसों का वर्णन है।
लावण्य योजना का अर्थ शरीर का सौंदर्य होता है।
दो बिंदुओं के बीच की सूक्ष्म दूरी रेखा कहलाती है।
प्रमाण की दृष्टि से 'सिर' को चार भागों में बांटा गया है।
पानी पीता मृग तृप्त मन का प्रतीक है।
प्रमाण की दृष्टि से 'बालक' को पांच तालों में बांटा गया है।
स्क्रीन प्रिंटिंग की छपाई रेशम के कपड़े द्वारा की जाती है।
'गज हस्त मुद्रा' अभय का प्रतीक है।
शीला, भित्ति, कपड़ा, आदि पर स्वतः ही आया पोत आत्म पोत कहलाता है।
'चक्षु और आत्मा' द्वारा रूप की सही पहचान रूपभेद कहलाती है।
कुछ बिंदुओं के मध्य के रेखीय प्रभाव को अनुभूत रेखाएं कहते हैं।
जिस चित्र भूमि पर अंकन किया जाता है वह अंतराल कहलाती है।
विभिन्न आकृतियों के अनुपात का सही ज्ञान प्रमाण कहलाता है।
कला की दृष्टि से आकृतियों के मनोभाव, स्वभाव, और व्यंग्यात्मक प्रक्रिया को भाव कहते हैं।
प्रमाण की दृष्टि से 'मानव' को दस तालों में बांटा गया है।
चित्रकला या कला की दृष्टि में प्रमाण के पांच रूप हैं: मानव, दानव, भयानक, राक्षस और बालक।
अन्य विषय
मोहनजोदड़ो के बर्तनों पर भूरे रंग के धरातल पर काले रंग से चित्रकारी की जाती थी।
विजयनगर की चित्रकला के उदाहरण भवनों और मंदिरों की दीवारों पर मिलते हैं।
'आर्य' शब्द श्रेष्ठ वंश को इंगित करता है।
हरिहर राय और बुक्का राय दोनों ने मिलकर विजयनगर की स्थापना की थी।
शतपथ ब्राह्मण से संबंधित राजा विदेध माधव के संबंधित ऋषि ऋषि गौतम रहुगण थे।
आरंभिक प्रिंटमेकिंग का विकास कपड़े पर पैटर्न के रूप में हुआ था।
11वीं शताब्दी ई. पू. के यूनान की कला का उदाहरण पात्र के रूप में मिलते हैं।
'Gothic युग' में आरंभिक पुनर्जागरण को जन्म देने वाले कलाकार Giotto थे।
वैदिक युग में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली गणतंत्र थी।
अमजद अली खान का संबंध सितार से नहीं, बल्कि सरोद से है।
एथेंस में ज्यामितीय शैली 750 ई. पू. में परिपक्व हुई।
'हम्जानामा' ग्रंथ 12 खंडों में विभाजित है।
जौनपुर को भारत का सिराज कहा जाता है।
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