भारतीय कला और चित्रकला में दीपक (दीया) और प्रकाश स्तंभ का चित्रण

 भारतीय कला और चित्रकला में दीपक (दीया) और प्रकाश स्तंभ का चित्रण एक महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक भूमिका निभाता है। ये दोनों तत्व केवल प्रकाश के साधन नहीं हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता में ज्ञान, ऊर्जा और पवित्रता के प्रतीक माने जाते हैं। विशेष रूप से मंदिरों, महलों, और धार्मिक ग्रंथों के चित्रों में इनका प्रभावी रूप से उपयोग हुआ है।


1. मुगल और राजपूत चित्रकला

मुगल और राजपूत चित्रकला में दीपकों का चित्रण न केवल सौंदर्यपूर्ण होता था, बल्कि रात्रि दृश्यों में माहौल को जीवंत बनाता था। कई चित्रों में राजा-रानी, संतों या दरबारी दृश्य में दीपक की रौशनी को मुख्य स्रोत के रूप में दिखाया गया है, जो चित्र में गहराई और रहस्यमयता को जोड़ता
है।

दीपकों का संयोजन कर बनाए गए दीप स्तंभ भी, विशेषकर महलों और दरबारों के चित्रों में देखे जा सकते हैं, जो आयोजन और उत्सवों के समय सजावट का मुख्य हिस्सा होते थे।

2. तंजावुर (थंजावुर) चित्रकला

तंजावुर चित्रकला में दीपकों का चित्रण स्वर्णिम और चमकदार शैली में होता है। इन चित्रों में देवी-देवताओं के चारों ओर दीपमालाएँ होती हैं, जो ईश्वर का आह्वान और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती हैं।

दीपकों के साथ सोने की पत्तियों का उपयोग कर इन्हें वास्तविकता का प्रभाव देने की कोशिश की जाती है। इस शैली में दीए या दीपमालाओं का उपयोग चित्र में भक्ति और आस्था की भावना को और भी गहराई से प्रकट करता है।

3. पहाड़ी चित्रकला (कांगड़ा, गढ़वाल)

पहाड़ी चित्रकला में रात के दृश्यों में दीपकों का उपयोग विशेष रूप से किया गया है, जिसमें राधा-कृष्ण या अन्य प्रेमपूर्ण विषयों के चित्रण में दीयों से सजी हुई घाटियाँ या मंदिर होते हैं।

इन चित्रों में दीपक का प्रकाश प्रेम और भक्ति की भावना को उजागर करता है और पूरे दृश्य को एक अनूठी चमक प्रदान करता है।

4. लोक कला

मधुबनी, वार्ली, और पिछवाई जैसी भारतीय लोक कलाओं में भी दीपक का प्रतीकात्मक महत्व है। इन चित्रों में दीपक का उपयोग शुभ अवसरों या देवी-देवताओं के पूजन में होता है। पिचवाई चित्रों में भगवान श्रीनाथजी के चारों ओर दीयों का उपयोग विशेष रूप से उनकी आरती के दृश्य में किया जाता है।

वार्ली कला में भी दीपों का चित्रण सरल आकृतियों में किया जाता है, जो ग्रामीण परिवेश में जीवन के त्यौहार और पूजा-पाठ का हिस्सा होते हैं।

भारतीय चित्रकला में दीपक और प्रकाश स्तंभ का उपयोग दृश्य की पवित्रता और जीवन की ऊर्जस्विता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। ये प्रतीक न केवल चित्र को प्रकाश से भरते हैं बल्कि इसके माध्यम से कलाकार दर्शकों को आध्यात्मिकता, भक्ति, और ज्ञान का अनुभव कराते हैं।

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