रामकिंकर बैज: एक परिचय


रामकिंकर बैज, जिन्हें प्यार से 'किंकर दा' कहा जाता है, आधुनिक भारतीय मूर्तिकला के जनक माने जाते हैं। उनका जन्म 20 मई 1906 को पश्चिम बंगाल के बांकुरा शहर के जुग्गीपाड़ा में हुआ था। वह एक गरीब परिवार से थे और उनकी प्रतिभा को सबसे पहले रामानन्द चटर्जी ने पहचाना, जो 'मॉडर्न रिव्यू' पत्रिका के संस्थापक थे।

शिक्षा और करियर

  • कला गुरु: उनके कला गुरु नंदलाल बोस थे। उन्होंने शांति निकेतन में नंदलाल बोस के सानिध्य में कला की शिक्षा प्राप्त की।

  • शांति निकेतन में कार्यकाल: रामकिंकर बैज ने शांति निकेतन के कला विभाग में 57 वर्षों तक कार्य किया और वहाँ के कला भवन में मूर्तिकला विभाग के अध्यक्ष रहे।

  • कलात्मक शैली: उनके मूर्तिशिल्पों पर अभिव्यंजनावाद (Expressionism) का प्रभाव था। वे अपनी मूर्तियों के लिए बालू, सीमेंट, कंक्रीट और मिट्टी जैसे माध्यमों का प्रयोग करते थे।


प्रमुख मूर्तियाँ और कलाकृतियाँ

रामकिंकर बैज मुख्य रूप से एक मूर्तिकार के रूप में प्रसिद्ध हैं, हालांकि उन्होंने चित्र भी बनाए।

  • संथाल परिवार (1938):

    • सीमेंट-कंक्रीट से बनी यह मूर्ति शांति निकेतन में स्थापित है। यह एक संथाल परिवार को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हुए दर्शाती है, जो उनके जीवन संघर्ष को दिखाता है।

    • यह मूर्ति डेढ़ गुना बड़े आकार की है और इसमें एक पुरुष, एक महिला, एक शिशु और एक कुत्ता शामिल है।

  • यक्ष-यक्षिणी (1956):

    • नई दिल्ली स्थित रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के मुख्य द्वार पर स्थापित ये 24 फीट ऊँची दो ग्रेनाइट मूर्तियाँ हैं।

    • ये मूर्तियाँ कृषि के माध्यम से समृद्धि को दर्शाती हैं।

  • मिल कॉल (1956):

    • यह मूर्ति भी शांति निकेतन में स्थापित है।

    • इसमें सीमेंट और बजरी का उपयोग किया गया है और यह मिल की तरफ दौड़ती हुई दो मजदूरों को दर्शाती है।

  • अन्य प्रमुख मूर्तियाँ:

    • रवींद्रनाथ टैगोर

    • महात्मा बुद्ध

    • मिथुन

    • सुजाता

    • हार्वेस्टर (1943, कांस्य)

    • लैम्प स्टैंड (1940, उनकी पहली अमूर्त मूर्ति)


प्रमुख चित्र और जीवन पर आधारित कृतियाँ

  • चित्र:

    • 'फ़ेमिन' (अकाल): कागज पर टेम्परा माध्यम से बना यह चित्र राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली में सुरक्षित है।

    • 'होमवर्ड बाउंड': जलरंग में बना चित्र।

    • 'मिल पहुँचने की पुकार' (1959): कैनवास पर तैल माध्यम में बना चित्र।

  • जीवन पर आधारित कृतियाँ:

    • फिल्म: 1975 में ऋत्विक घटक ने उनके जीवन पर 'रामकिंकर बैज' नामक एक फिल्म बनाई।

    • उपन्यास: प्रसिद्ध बंगाली उपन्यासकार समरेश बसु ने उन पर 'देखी नई फिरे' (मुड़कर नहीं देखा) नामक एक उपन्यास लिखा।

    • पुस्तकें: के.जी. सुब्रमण्यम ने 'रामकिंकर एंड हिज वर्क्स' और ए. रामचंद्रन ने 'द मैन एंड आर्टिस्ट' नामक पुस्तकें लिखीं।


पुरस्कार और सम्मान

  • पद्म भूषण: 1970 में भारत सरकार द्वारा सम्मानित।

  • राष्ट्रीय ललित कला अकादमी फेलो: 1976 में निर्वाचित।

  • स्वर्ण पदक: 'सीता एक्साइल' चित्र के लिए दिल्ली की एक प्रदर्शनी में स्वर्ण पदक मिला।

  • उपनाम: के.जी. सुब्रमण्यम ने उन्हें 'खेपा बाउल' का उपनाम दिया था।

  • मृत्यु: 1 अगस्त 1980 को उनका निधन हुआ।

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