एम.एफ. हुसैन: एक परिचय

मकबूल फिदा हुसैन (M.F. Husain) जिन्हें अक्सर 'भारत का पिकासो' कहा जाता है, एक भारतीय कलाकार थे जिनकी कला ने भारतीय आधुनिकता को एक नई दिशा दी। उनका जन्म 17 सितंबर 1915 को महाराष्ट्र के पंढरपुर (शोलापुर) में हुआ था। उनकी मृत्यु 95 वर्ष की आयु में 9 जून 2011 को लंदन में हुई, और उन्हें लंदन के ब्रुकवुड कब्रिस्तान में दफनाया गया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

  • प्रारंभिक शिक्षा: बचपन में माँ के निधन के बाद, हुसैन अपने पिता के साथ इंदौर चले गए, जहाँ उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई।

  • कला गुरु: उन्होंने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (जिसे उस समय डेली कॉलेज कहा जाता था) में दामोदर देवलालीकर से पेंटिंग सीखी। बाद में, उन्होंने मुंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से कला की शिक्षा ली।

  • करियर की शुरुआत: उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक सिनेमा पोस्टर और कट-आउट पेंटर के रूप में की। वह मुंबई के दूसरे होर्डिंग्स पेंटर थे।

  • कला समूह: 1947 में, वह पैग (प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप) समूह में शामिल हो गए, जिसमें सूजा जैसे कलाकार शामिल थे।

प्रमुख कलात्मक शैली और विषय-वस्तु

हुसैन की शैली घनवाद (Cubism) से प्रभावित थी और वे अपनी कला को श्रृंखलाओं के माध्यम से प्रस्तुत करते थे। उनकी कला की विशेषता मोटी रेखाओं से घिरी आकृतियाँ थीं।

  • घोड़े (Horses): घोड़ों के चित्र उनकी पहचान बन गए। ये चित्र गति, शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक थे। उनके अश्व श्रृंखला के दो विशेष चित्र 'द हॉर्स दैट लुक्ड बैक' (1967) और 'परसुइड बाई हॉर्सेस' (1961) हैं।

  • भारतीय सभ्यता: उनके चित्र अक्सर भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विषयों पर आधारित होते थे, जैसे 'महाभारत' और 'भारतमाता'

  • महिलाएं: उन्होंने महिलाओं के कई चित्र बनाए, जिनमें 'मदर टेरेसा' श्रृंखला और 'माधुरी', 'तब्बू', 'उर्मिला मातोंडकर' और 'अमृता राव' के व्यक्ति चित्र शामिल हैं।

  • विवाद: उनके द्वारा बनाए गए कुछ हिंदू देवी-देवताओं और 'भारतमाता' के नग्न चित्रण के कारण उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इस विवाद के चलते 2006 में उन्होंने भारत छोड़ दिया और 2010 में उन्हें कतर की नागरिकता प्राप्त हुई।


प्रमुख कृतियाँ और फिल्में

प्रसिद्ध चित्र:

  • 'नीली रात'

  • 'जमीन'

  • 'लैंप और मकड़ी के बीच दो स्त्रियां' (इसकी तुलना पिकासो की 'अविन्यों की स्त्रियां' से की जाती है)

  • 'सेलिब्रेशन' (यह क्रिस्टी की नीलामी में 1.5 करोड़ रुपये में बिकी थी)

  • 'काली' (जून 2018 में यह रिकॉर्ड 26.4 करोड़ रुपये में बिकी)

  • 'ढोलकिया'

  • 'दौड़ते हुए अश्व के साथ भूमि पर लुढ़कता बादामी सूर्य'

  • 'भारतमाता' (एक्रेलिक ऑन कैनवास पर बना एक विवादित चित्र)

फिल्म निर्माण:

हुसैन एक जाने-माने फिल्म निर्माता भी थे। उन्होंने 1982 तक 12 फिल्मों का निर्माण किया।

  • 'गजगामिनी': यह उनकी पहली फिल्म थी, जो 2000 में माधुरी दीक्षित पर केंद्रित थी। इसमें शाहरुख खान और नसीरुद्दीन शाह ने भी अभिनय किया था।

  • 'थ्रू दी आइज़ ऑफ ए पेंटर': इस फिल्म को बर्लिन फिल्मोत्सव में 'गोल्डन बियर' पुरस्कार मिला था।

  • 'मीनाक्षी: ए टेल ऑफ थ्री सिटीज़': इस फिल्म में हैदराबाद, जैसलमेर और प्रयागराज शहरों को दिखाया गया था।


पुरस्कार और सम्मान

  • पद्म श्री: 1966

  • पद्म भूषण: 1973

  • पद्म विभूषण: 1991

  • केंद्रीय ललित कला अकादमी का प्रथम पुरस्कार: 1955

  • ललित कला रत्न पुरस्कार: 2004

  • मानद उपाधियाँ: 2007 में मैसूर, बनारस हिंदू और जामिया मिलिया विश्वविद्यालयों से डॉक्टर की मानद उपाधि।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • राज्यसभा सदस्य: वह 1987 में राज्यसभा के सदस्य बने।

  • शौक: उन्हें घड़ी इकट्ठा करने का शौक था।

  • प्रभाव: जॉर्डन रॉयल इस्लामिक स्ट्रेटेजिक स्टडीज सेंटर ने 2010 में हुसैन को 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में से एक माना।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ