एस. एच. रज़ा: एक परिचय

 सैयद हैदर रज़ा, जिन्हें एस. एच. रज़ा के नाम से जाना जाता है, एक भारतीय चित्रकार थे जिनका जन्म 22 फरवरी 1922 को मध्य प्रदेश के मंडला जिले के बावरिया नामक गाँव में हुआ था। वह प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप (PAG) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और उन्हें 'बिंदुवादी कलाकार' के रूप में जाना जाता है।

शिक्षा और करियर

  • कला शिक्षा: उन्होंने मुंबई के सर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट से शिक्षा प्राप्त की।

  • प्रारंभिक कला गुरु: उनके शुरुआती कला गुरु ओथेले थे।

  • शैली: रज़ा ने अपनी कला की शुरुआत दृश्य कला (Landscape Art) से की। बाद में, वे 'बिंदु' को अपनी कला का केंद्र बनाने के लिए जाने गए, जो आध्यात्मिक और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक था। 'बिंदु' चित्र श्रृंखला उनकी सबसे प्रसिद्ध कृतियों में से एक है।

  • रज़ा फाउंडेशन: उन्होंने युवा कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत में 'रज़ा फाउंडेशन' की स्थापना की।

  • विवाह: उनका विवाह एक मूर्तिकार और उनकी छात्रा मित्र जानीन मोंजिला से हुआ था।

  • निधन: 94 वर्ष की आयु में 23 जुलाई 2016 को उनका निधन दिल्ली में हुआ। उनकी अंतिम कृति का नाम 'स्वस्ति' था।


प्रमुख कृतियाँ और श्रृंखलाएँ

रज़ा की कला में भारत की आध्यात्मिक परंपराओं और भारतीय संस्कृति का गहरा प्रभाव था।

  • 'बिंदु' श्रृंखला (1981): यह एक्रेलिक माध्यम में बनी उनकी सबसे प्रसिद्ध श्रृंखला है, जिसमें एक केंद्रीय बिंदु के चारों ओर ज्यामितीय आकृतियाँ और रंग होते हैं।

  • 'सौराष्ट्र' (2010): यह पेंटिंग क्रिस्टी की नीलामी में 16.42 करोड़ रुपये में बिकी थी।

  • 'ला टेरे' (2014): यह पेंटिंग 18.61 करोड़ रुपये में नीलाम हुई।

  • 'सिटीस्केप' और 'बारामुला इन रूइन्स': ये चित्र भारत के विभाजन और मुंबई के दंगों के दौरान मुसलमानों की पीड़ा को दर्शाते हैं।

  • अन्य प्रसिद्ध चित्र:

    • 'अंकुरण'

    • 'हॉट डे केग्नेस' (1951): कागज पर गौचे माध्यम में।

    • 'ब्लैक सन' (1953): कागज पर गौचे माध्यम में।

    • 'ट्री' (1994): कैनवास पर एक्रेलिक माध्यम में।


पुरस्कार और सम्मान

  • प्रिक्स डे ला क्रिटिक: फ्रांस का यह पुरस्कार पाने वाले वह पहले भारतीय कलाकार थे।

  • पद्म श्री: 1981

  • पद्म भूषण: 2007

  • पद्म विभूषण: 2013

  • लीजन ऑफ ऑनर: 14 जुलाई 2015 को फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।

  • ललित कला अकादमी फैलोशिप: 1983

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • रज़ा की आत्मकथा का नाम 'आत्मा की ताप' है।

  • उनके चित्र 'चंद राम चांदनी ने राजपूताना' को 1 करोड़ रुपये में खरीदा था।

  • रज़ा की पेंटिंग 'बिंदु बीज मंत्र' 68 लाख में बिकी थी।

  • उन्होंने 2000 के बाद 'कुंडलिनी', 'नाग' और 'महाभारत' जैसी आध्यात्मिक विषयों पर भी चित्र बनाए।

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