बार्बिज़ों स्कूल (Barbizon School) 🌳
अवलोकन
समयकाल: 1830 से 1870 ईस्वी तक।
स्थान: फ्रांस के फोंटेनब्लू जंगल के पास स्थित बार्बिज़ों गाँव।
उद्देश्य: इस आंदोलन के कलाकारों ने स्टूडियो से बाहर निकलकर ग्रामीण जीवन और प्राकृतिक दृश्यों का सीधा और यथार्थवादी चित्रण करना शुरू किया।
शैली: यह एक प्रकार का यथार्थवादी आंदोलन था, जिसने प्रभाववाद की नींव रखी।
प्रमुख कलाकार:
तेओदोर रूसो (Théodore Rousseau): बार्बिज़ों स्कूल के सबसे महान और सक्रिय चित्रकार। उनका प्रसिद्ध चित्र 'ओक का वृक्ष' है।
ज्यां-फ्रांस्वा मिले (Jean-François Millet): वे ग्रामीण जीवन और श्रमजीवी किसानों के चित्रण के लिए प्रसिद्ध थे। उनका मानना था कि कला एक संघर्ष है। उनके प्रसिद्ध चित्र 'पछोरने वाला आदमी' और 'बीज बोने वाला' हैं।
कामील कोरो (Camille Corot): उन्होंने प्राकृतिक दृश्यों और व्यक्ति-चित्रों दोनों का चित्रण किया। उनका प्रसिद्ध चित्र 'नार्नी का पुल' है।
प्राक-रैफेलाइटवाद (Pre-Raphaelitism) 🕊️
अवलोकन
स्थापना: 1848 ईस्वी में इंग्लैंड में हुई।
उद्देश्य: इस आंदोलन का उद्देश्य पुनर्जागरण कलाकार राफेल से पहले की कला की सादगी, ईमानदारी और विस्तार को पुनर्जीवित करना था। यह राफेल और उनके अनुयायियों की पारंपरिक, औपचारिक कला के विरोध में था।
विशेषताएँ:
कलाकार अपने चित्रों में विस्तृत विवरण और प्रतीकात्मकता पर जोर देते थे।
उन्होंने धार्मिक और साहित्यिक विषयों का चित्रण किया।
प्रमुख प्रवर्तक:
विलियम हॉलमैन हंट (William Holman Hunt): उन्होंने धार्मिक विषयों का चित्रण किया और वे अपने काम की विवरणात्मक यथार्थवाद के लिए जाने जाते थे।
जॉन एवरेट मिलैस (John Everett Millais): उन्होंने 'बढ़ई की दुकान' जैसे चित्रों से इस आंदोलन को पहचान दिलाई।
दांते गेब्रियल रॉसेटी (Dante Gabriel Rossetti): वे इस समूह के प्रमुख कवि और चित्रकार थे। उनका पहला चित्र 'कुमारी का लड़कपन' था।
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