अवलोकन
समयकाल: 1850 के दशक के उत्तरार्द्ध में फ्रांस में आरंभ हुआ।
उद्भव: यह रोमांसवाद की प्रतिक्रिया के रूप में उभरा।
विशेषताएँ:
यथार्थवाद में कलाकारों ने प्राचीन शास्त्रीय विषयों और ऐतिहासिक घटनाओं को छोड़कर समकालीन जीवन का चित्रण करना शुरू किया।
उनका उद्देश्य अपने आसपास के संसार को जैसा है, वैसा ही चित्रित करना था, बिना उसे सुंदर या कुरूप बनाए।
इस आंदोलन ने मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों के जीवन और दुखों को कला का विषय बनाया।
कलाकारों ने स्वयं को भी विभिन्न सामाजिक स्थितियों में चित्रित करना शुरू किया।
प्रमुख कलाकार और उनके योगदान
1. ऑनर दोमिए (Honoré Daumier)
जन्म: 26 फरवरी 1808, फ्रांस।
योगदान: उन्हें यथार्थवाद के शुरुआती कलाकारों में से एक माना जाता है। वे मुख्य रूप से एक प्रसिद्ध व्यंग्य चित्रकार, प्रिंटमेकर और मूर्तिकार थे।
शैली: उन्होंने अपने व्यंग्य चित्रों के माध्यम से तत्कालीन समाज, राजनीतिज्ञों, वकीलों और उच्च वर्ग के अहंकार और पाखंड का उपहास उड़ाया।
प्रसिद्ध कथन: 'इस चित्रकार के भीतर माइकेल एंजेलो छिपा है' - यह कथन बाल्ज़ाक ने उनके बारे में कहा था।
प्रमुख चित्र:
'तीसरी श्रेणी का डिब्बा' (Third-Class Carriage)
'न्यायालय'
'धोबन'
2. गुस्ताव कुर्बे (Gustave Courbet)
जन्म: 10 जून 1819, फ्रांस।
उपाधि: वे दोमिए के बाद यथार्थवाद के प्रमुख नेता और प्रणेता बने।
योगदान: उन्होंने श्रमिकों और किसानों के जीवन को अपनी कला का मुख्य विषय बनाया।
पहला एकल शो: कुर्बे पहले ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने अपनी अस्वीकृत कलाकृतियों को प्रदर्शित करने के लिए एक एकल प्रदर्शनी (Solo Show) का आयोजन किया।
प्रसिद्ध कथन: 'मुझे देवता दिखाओ और मैं उसका चित्र खींचूँगा' - इस कथन से उनकी यथार्थवादी सोच का पता चलता है।
प्रमुख चित्र:
'पत्थर तोड़ने वाले' (The Stone Breakers): यह उनका सबसे प्रसिद्ध चित्र था, जो दुर्भाग्यवश द्वितीय विश्व युद्ध में नष्ट हो गया।
'ओर्ना का दफन संस्कार' (A Burial at Ornans): इस विशाल चित्र को यथार्थवाद का एक मील का पत्थर माना जाता है।
'चित्रकार का कार्यकक्ष' (The Painter's Studio)
'नमस्ते कुर्बे महोदय' (Bonjour, Monsieur Courbet)
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