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दृश्य कला में द्वि-आयामी और त्रि-आयामी

  • दृश्य कला: आकृति, रंग और रूप के माध्यम से व्यक्त की जाने वाली कला।

  • द्वि-आयामी (Two-Dimensional) कला:

    • आयाम: लंबाई और चौड़ाई।

    • उदाहरण: चित्रकला, ग्राफ़िक्स, फ़ोटोग्राफ़ी, डिजिटल चित्रकला, पेंटिंग, ड्राइंग।

    • विशेषता: एक समतल सतह पर छवियों को प्रस्तुत करती है।

  • त्रि-आयामी (Three-Dimensional) कला:

    • आयाम: लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई।

    • उदाहरण: स्थापत्यकला (आर्किटेक्चर), स्थलकला (इंस्टॉलेशन), गुफाकला (केव आर्ट)।

    • विशेषता: वस्तुओं में स्थलीयता और गतिशीलता होती है।

डिज़ाइन में रिदम और स्पेस

  • रिदम (Rhythm):

    • परिभाषा: डिज़ाइन में लहर, पैटर्न या दोहराव की भावना।

    • कार्य: विभिन्न तत्वों को एक श्रृंखला में जोड़कर प्रवाह बनाना।

    • उदाहरण: वेबसाइट पर बटनों के बीच एक ही तरह का पैटर्न या रंग।

  • स्पेस (Space):

    • परिभाषा: तत्वों के बीच की खाली जगह।

    • कार्य: डिज़ाइन को स्पष्ट, सुविधाजनक और संगठित बनाना।

    • उदाहरण: म्यूज़ियम गैलरी में कलाकृतियों के बीच पर्याप्त जगह ताकि दर्शक हर चीज़ को ध्यान से देख सकें।

दृश्य कला में चित्रकला और मूर्तिकला

  • चित्रकला (Painting):

    • माध्यम: कागज़, कैनवास जैसी सतह पर रंगों का प्रयोग।

    • कलाकार का विवरण: व्यक्तिगत अभिव्यक्ति पर ज़ोर, रंग, आकृति और रुचि का मेल।

  • मूर्तिकला (Sculpture):

    • माध्यम: मिट्टी, पत्थर, लोहा, लकड़ी आदि से त्रि-आयामी रूप बनाना।

    • कलाकार का विवरण: कला को स्थायी और त्रि-आयामी रूप में व्यक्त करना।

  • संबंध: दोनों कलाएँ अलग-अलग माध्यमों का उपयोग करती हैं लेकिन कलाकार रिदम और स्पेस का उपयोग करके अपनी अनूठी पहचान बना सकते हैं।

फ्रेस्को बुन और फ्रेस्को सेको

  • फ्रेस्को बुन (Fresco Buon):

    • तकनीक: ताज़ा चूने की गीली सतह ("अरी") पर पेंटिंग की जाती है।

    • स्थायित्व: रंग चूने में समा जाते हैं, जिससे चित्र स्थायी और मजबूत होता है।

    • उदाहरण: मंदिरों, गिरजाघरों की दीवारों पर चित्रकारी।

  • फ्रेस्को सेको (Fresco Secco):

    • तकनीक: सूखी चूने की सतह पर पेंटिंग की जाती है।

    • स्थायित्व: रंग अस्थायी होते हैं, समय के साथ फीके पड़ सकते हैं या टूट सकते हैं।

प्राच्य और पश्चिमी सौंदर्यशास्त्र

  • प्राच्य सौंदर्यशास्त्र (Eastern Aesthetics):

    • विश्लेषण: भारतीय कला और संस्कृति के दृष्टिकोण से सुंदरता का अध्ययन।

    • सिद्धांत: सौंदर्य को आध्यात्मिक और दिव्य माना जाता है।

    • उदाहरण: ताजमहल की वास्तुकला, जिसका महत्व उसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पक्ष में है।

  • पश्चिमी सौंदर्यशास्त्र (Western Aesthetics):

    • विश्लेषण: सौंदर्य को वस्तु की वास्तविकता और रूप परिवर्तन के परिणाम के रूप में देखा जाता है।

    • सिद्धांत: व्यक्ति की भौतिक और संवेदनात्मक सुंदरता पर ज़ोर।

    • उदाहरण: लियोनार्डो दा विंची की कला, जो मानव शरीर की सुंदरता और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति पर केंद्रित है।

गॉथिक कला में ग्लास मोज़ैक (Stained Glass)

  • भूमिका: गॉथिक कला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा।

  • विशेषताएँ:

    • दिव्यता का प्रतीक: चर्चों की खिड़कियों पर धार्मिक कहानियों को दर्शाती है।

    • प्रकाश: रंगीन प्रकाश को चर्च के अंदर लाकर आध्यात्मिक माहौल बनाती है।

    • शिल्पकला का हिस्सा: गॉथिक वास्तुकला (जैसे पत्थर के स्तंभों) को पूरा करती है।

    • सुंदरता: विभिन्न रंगों और आकारों का प्रयोग।

सांची स्तूप की प्राचीन मूर्तियाँ

  • विषय: पत्थरों पर उकेरी गई बौद्ध धर्म की कथाएँ और चरित्र।

  • प्रमुख मूर्तियाँ:

    • अशोका पिल्लर: अशोक के धार्मिक उपदेशों को दर्शाता है।

    • धर्मचक्र: बौद्ध धर्म का प्रतीक।

    • बोधि वृक्ष: गौतम बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति की कथा को सूचित करता है।

    • जातक कथाएँ: बुद्ध के पिछले जन्मों की कहानियों का चित्रण।

लॉर्ड इम्पी और इम्पी एल्बम

  • लॉर्ड इम्पी: 18वीं सदी के अंत में बंगाल के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश।

  • योगदान: भारतीय कलाकारों को प्रायोजित किया और प्रसिद्ध इम्पी एल्बम का निर्माण कराया।

  • इम्पी एल्बम:

    • विषय: भारतीय जीवन, पेड़-पौधे, जीव-जंतु, भूदृश्य और लोगों का चित्रण।

    • ऐतिहासिक महत्व: ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की जैव विविधता और संस्कृति को दर्शाया।

आदिम कला और लोक कला

  • आदिम कला (Fine Art):

    • परिभाषा: कलाकार के रचनात्मक विचारों और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति पर आधारित।

    • विशेषता: कलाकारों को अधिक स्वतंत्रता मिलती है।

    • उदाहरण: पेंटिंग, मूर्तिकला, कला फ़ोटोग्राफ़ी।

  • लोक कला (Folk Art):

    • परिभाषा: जनसामान्य की सांस्कृतिक, सामाजिक प्रथाओं और लोककथाओं को दर्शाती है।

    • विशेषता: सामूहिक रूप से बनती है और इसमें पारंपरिक तकनीकों का पालन होता है।

भारतीय लोक कला शैलियाँ

  • मधुबनी पेंटिंग (बिहार): प्राकृतिक दृश्यों, फूलों, और जीवन के विभिन्न पहलुओं का चित्रण।

  • पूलिक्कल पेंटिंग (पश्चिम बंगाल/ओडिशा): धार्मिक और पौराणिक कथाएँ।

  • वरली पेंटिंग (महाराष्ट्र): सामाजिक समरसता और पर्यावरण पर आधारित, त्रिकोणीय और चौकोर आकृतियों का उपयोग।

  • तंजावुर पेंटिंग (तमिलनाडु): धार्मिक मूर्तियों का चित्रण, आभूषणों से सजाया हुआ।

  • कलमकारी (दक्षिण भारत): धार्मिक और सांस्कृतिक दृश्यों का चित्रण, जड़ों से बने रंग का प्रयोग।

कला में विचार और कल्पना

  • विचार (Concept):

    • शुरुआत: कला का प्रारंभ एक गहरे विचार से होता है।

    • कार्य: कलाकार अपने विचार को विकसित करता है और कला के माध्यम से अपना संदेश स्पष्ट करता है।

  • कल्पना (Imagination):

    • कार्य: कलाकार की रचनात्मक सोच से नई दुनियाओं का निर्माण।

    • परिणाम: कला में नयापन और सौंदर्य लाता है, दर्शकों को आनंद देता है।

कला में सापेक्ष और निरपेक्ष सिद्धांत

  • सापेक्ष (Relative):

    • विचार: कलाकार अपनी रचनात्मक प्रक्रिया में श्रेष्ठता और उच्चतम गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

    • शैली: एक विशिष्ट शैली का पालन करते हैं, जो उनकी रचनात्मक पहचान बनती है।

  • निरपेक्ष (Absolute):

    • विचार: कला को सामाजिक या राजनीतिक संदेश देने का माध्यम मानते हैं (जैसे सामाजिक समस्याओं को दर्शाना)।

    • शैली: नई और अद्वितीय शैलियों का प्रयोग करके समाज के आदर्शों को चुनौती देते हैं।

पश्चिमी कला आंदोलनों का वर्गीकरण

  • मॉडर्न और आधुनिक: आधुनिक तकनीकों और व्यक्तिगत भावनाओं पर आधारित।

  • प्राकृतिक और प्राकृतिक दृश्य: प्राकृतिक सौंदर्य और दृश्यों का चित्रण।

  • सामाजिक और राजनैतिक संदेश: सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर कलाकारों की प्रतिक्रिया।

  • एक्सप्रेशनिज़्म और एब्स्ट्रैक्ट: व्यक्तिगत भावनाओं और अद्वितीय दृष्टिकोण को प्रकट करना।

  • आधारित और पुनर्निर्मित: पुराने कला आदर्शों पर आधारित या उन्हें फिर से बनाया गया।

  • व्यक्तिगत और अद्वितीय: कलाकार की व्यक्तिगत भावनाएँ और विचार।

अवधारणा (Conceptualization) का विकास

  • शुरुआत:

    • ध्यान और विचारशीलता: आसपास की चीज़ों पर ध्यान देना।

    • प्राथमिक अवधारणा का चयन: एक मुख्य विचार चुनना।

  • विकास:

    • कल्पना और समीक्षा: विचार को मन में विकसित करना और उसकी समीक्षा करना।

    • संदर्भ: अवधारणा को सामाजिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक संदर्भों से जोड़ना।

  • माध्यम का चयन: विभिन्न कला माध्यमों (पेंटिंग, मूर्तिकला, आदि) का अध्ययन ताकि सही माध्यम में अवधारणा को व्यक्त किया जा सके।

अंडरपेंटिंग, ग्लेजिंग और कवरिंग पाउडर

  • अंडरपेंटिंग (Underpainting):

    • महत्व: रंग को स्थायित्व और गहराई देना, रंगों में विविधता और सामंजस्य बढ़ाना।

  • ग्लेजिंग (Glazing):

    • महत्व: पेंटिंग की आखिरी परत होती है, जो रंगों में पारदर्शिता, गहराई और सांस्कृतिकता जोड़ती है।

  • कवरिंग पाउडर (Covering Powder):

    • महत्व: पेंटिंग में आकार और बनावट (texture) जोड़ने के लिए उपयोग होता है।

एब्स्ट्रैक्ट और मॉडर्न आर्ट

  • मॉडर्न आर्ट (Modern Art):

    • विशेषता: वस्तुगत दृश्यों को दर्शाती है, पर प्राकृतिक या वास्तविक वस्तुओं का चित्रण ज़रूरी नहीं।

    • उद्देश्य: आधुनिकीकरण और विचारों का आदान-प्रदान।

  • एब्स्ट्रैक्ट आर्ट (Abstract Art):

    • विशेषता: वास्तविक या विशिष्ट वस्तुओं का चित्रण नहीं करती।

    • उद्देश्य: रंग, रूप और संरचना पर ज़ोर देकर व्यक्तिगत भावनाओं और विचारों को प्रमुखता देना।

त्रि-आयामी रूपों का आयाम

  • गहराई (Depth): कला में गहराई का अहसास पैदा करना।

  • प्रतिष्ठान (Representation): रूप को विस्तार से और यथार्थवादी रूप में प्रस्तुत करना।

  • हेरफेर (Manipulation): रूप को विकृत (distort) करने या उसमें हेरफेर करने की स्वतंत्रता।

  • संदर्भ: प्राकृतिक और निर्मित आयामों को मिलाकर दृश्य बनाना।

  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता: कलाकार को अपनी भावनाओं के अनुसार रूप प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता।

जोहान वॉन गोएथे और रंगों का दर्शन

  • गोथे (Goethe): एक प्रमुख जर्मन लेखक, कवि और दार्शनिक।

  • रंगों का दर्शन:

    • प्राकृतिकता: रंगों को प्राकृतिक जीवन और भावनाओं से जोड़ा।

    • व्यक्तिपरकता (Subjectivity): रंगों का अर्थ हर व्यक्ति के अनुभव के आधार पर बदल सकता है।

    • भावनाओं की अभिव्यक्ति: कविताओं और लेखन में भावनाओं को दर्शाने के लिए रंगों का उपयोग किया।

कला में रस सिद्धांत

  • परिभाषा: दर्शक की भावनाओं को प्रभावित करने और उन्हें कला का आनंद लेने में मदद करने का सिद्धांत।

  • अनुप्रयोग:

    • रंगमंच/नृत्य: श्रृंगार, हास्य, वीर, भय, करुण आदि रस का प्रयोग।

    • चित्रकला: रंगों, आकारों और संरचना से भावनाओं को प्रकट करना।

    • संगीत: रागों, तालों और धुनों से भावनाओं को स्पष्ट करना।

    • सिनेमा: कहानियों, अभिनय और संगीत के माध्यम से दर्शकों को भावनात्मक अनुभव देना।

हेगेल द्वारा शास्त्रीय और रोमांटिक कला में अंतर

  • हेगेल (Hegel): एक प्रमुख जर्मन दार्शनिक।

  • शास्त्रीय कला (Classical Art):

    • विशेषता: सामाजिक और राजनीतिक आदर्शों को दर्शाती है।

    • सिद्धांत: संरचना, नियमों का पालन और सरलता पर ज़ोर।

    • उदाहरण: वास्तुकला जिसमें समरूपता और संतुलन हो।

  • रोमांटिक कला (Romantic Art):

    • विशेषता: भावनाओं, व्यक्तिगतता और आदर्शों को दर्शाती है।

    • सिद्धांत: संरचनाओं से अधिक स्वतंत्रता, व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं पर ज़ोर।

    • उदाहरण: विलियम वर्ड्सवर्थ की कविताएँ।

राजा रवि वर्मा की विरासत

  • कलाकार: 19वीं सदी के महत्वपूर्ण भारतीय चित्रकार।

  • विरासत और प्रभाव:

    • तकनीकी नवाचार: वास्तविकता को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए फ़ोटोग्राफ़ी का उपयोग किया।

    • सामाजिक सुधार: समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को अपने चित्रों में शामिल किया।

    • साहित्यिक प्रेरणा: महाभारत और रामायण जैसी धार्मिक कथाओं को चित्रित किया।

लियोनार्डो दा विंची और माइकल एंजेलो में अंतर

  • लियोनार्डो दा विंची:

    • विशेषता: कला में विविधता (विज्ञान, इंजीनियरिंग)।

    • दृष्टिकोण: ध्यानात्मक प्राकृतिकता, मानव शरीर का विस्तृत अध्ययन।

  • माइकल एंजेलो:

    • विशेषता: मानव शरीर के अद्वितीय रूप और भावनाओं पर केंद्रित।

    • दृष्टिकोण: धार्मिक विषयों पर अधिक ध्यान।

    • मास्टरपीस: "डेविड" और "सिस्टीन चैपल"।

 विजुअल मर्चेंडाइजिंग

  • परिभाषा: खुदरा स्टोर में उत्पादों को आकर्षक और प्रेरणादायक तरीके से प्रस्तुत करना।

  • महत्व:

    • ग्राहकों को आकर्षित करना।

    • ब्रांड की पहचान बनाना।

    • बिक्री बढ़ाना।

  • डिज़ाइन तत्व: डिस्प्ले, लाइटिंग, रंग और छवियाँ।

  • संचार रणनीतियाँ: स्टोर का लेआउट, ग्राहक सेवा, प्रमोशन।

प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया

  • प्रिंट मीडिया का महत्व:

    • समय-साक्षरता: विचारशील और विशेष समय के लिए महत्वपूर्ण।

    • विश्वासनीयता: अक्सर अधिक विश्वसनीय माना जाता है।

    • विशिष्ट लक्ष्य: किताबें, पत्रिकाएँ और कैटलॉग विशेष जानकारी देते हैं।

  • प्रतिस्थापन में कठिनाइयाँ: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बढ़ने के बावजूद, प्रिंट मीडिया अपना स्थान और महत्व बनाए रखता है। दोनों माध्यम अपने-अपने गुणों के साथ बने रहेंगे।

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