कलाकार और उनकी रचनाएँ
नीलिमा शेख: "वेन चंपा ग्रू अप" (When Champa Grew Up) शृंखला।
अमृतलाल नागर: "सुहाग के नूपुर" (Suhag Ke Nupur) उपन्यास।
के. सी. एस. पणिक्कर: आध्यात्मिक और अमूर्त विषयों को चित्रित करने वाले कलाकार।
अवधेश मिश्रा: "बीजू का चित्र" (Biju Ka Chitra) शृंखला।
राजा रवि वर्मा: "हंस दमयंती" (Hans Damayanti) के चित्रकार।
बिनोद बिहारी मुखर्जी: "वृक्ष प्रेमी" (The Tree Lover) के रचनाकार।
के. जी. सुब्रमण्यम: लखनऊ के रवींद्रालय पर बने भित्ति चित्र के निर्माता।
अमृता शेर गिल: "हंगेरियन जिप्सी गर्ल" (Hungarian Gypsy Girl, 1932) की चित्रकार।
रामकुमार: पेरिस में कला का अध्ययन किया और "नगर और प्राकृतिक दृश्यों" से अपनी भावनात्मक दुनिया को व्यक्त किया।
अमित अंबालाल: अहमदाबाद के समकालीन कलाकार।
माइकल एंजेलो: सिस्टीन चैपल (Sistine Chapel) की छत को चित्रित किया (1505-1512)।
मंजीत बाबा: पंजाब से संबंधित प्रसिद्ध चित्रकार।
सुधीर पटवर्धन: मुंबई लोकल ट्रेन का चित्र बनाया।
असित कुमार हल्दर: कला एवं शिल्प महाविद्यालय, लखनऊ के पहले भारतीय प्रधानाचार्य।
रणवीर सिंह बिष्ट: "ब्लैक पेपेज ऑफ द इंडियन रिपब्लिक" (Black Pages of the Indian Republic) शृंखला।
ए. रामचंद्रन: "ययाति" (Yayati) चित्र शृंखला।
निहालचंद: प्रसिद्ध किशनगढ़ चित्र "राधा (बनी-ठनी)" (Radha (Bani Thani)) के चित्रकार।
परमानंद चोयल: "भैंसों के कलाकार" के नाम से प्रसिद्ध।
डी. पी. राज चौधरी: उनकी प्रसिद्ध मूर्ति "शांति विजय" (Shanti Vijay) राष्ट्रीय आधुनिक संग्रहालय, नई दिल्ली में है।
कला शैलियाँ और आंदोलन
बंगाल कला स्कूल: अबनींद्रनाथ टैगोर इसके अग्रणी माने जाते हैं।
प्रभाववाद: एन. एस. बेंद्रे भारत के प्रथम प्रभाववादी कलाकार थे।
जनवादी शैली: असित कुमार हल्दर भारतीय जनवादी शैली के प्रथम चित्रकार थे।
अभिव्यक्तिवाद: एडवर्ड मंच ने "द स्क्रिम" (The Scream) नामक प्रसिद्ध चित्र बनाया।
बंगाल शैली: अब्दुल रहमान चुगताई इस शैली से संबंध रखते हैं।
स्वर्णिम विभाजन सिद्धांत: यूनान के कलाकारों ने विकसित किया।
जैन शैली: आनंद कुमार स्वामी ने इसे "पश्चिम भारतीय शैली" कहा।
जी. आर. संतोष: कश्मीर में पले-बढ़े, जिन्होंने हमेशा स्त्री-पुरुष के यौवन समागम को अभिव्यक्त किया।
कला से संबंधित तथ्य
नंदलाल बोस:
अजंता के चित्रों को देखने के बाद उनके कलाकार जीवन में मुख्य परिवर्तन आए।
'मास्टर मोशाय' उपनाम से प्रसिद्ध हुए।
हरिपुरा में कांग्रेस अधिवेशन के पंडाल को सजाने का कार्य किया।
डी. पी. राज चौधरी: उनकी प्रसिद्ध कृति "शांति विजय" राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली के संरक्षण में है।
असित कुमार हल्दर और नंदलाल बोस: 1921 में बाघ की गुफाओं की प्रतिलिपियाँ बनाईं।
रॉबर्ट गिल: 1844 में अजंता के चित्रों की सबसे पहले प्रतिलिपियाँ तैयार कीं।
थियोडोर जानसन: राजा रवि वर्मा के तैल चित्रकला गुरु।
हरिपुरा पोस्टर: इसका शीर्षक "जमीन जोतने वाला" (भारतीय किसान) था।
विनोद बिहारी मुखर्जी: शांतिनिकेतन के हिंदी भवन में भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध।
राफेल सैंजियो: "स्कूल ऑफ एथेंस" (School of Athens) पेंटिंग का निर्माण किया (1508-11)।
एस. जी. श्रीखंडे: मूर्तिकार के रूप में विख्यात।
पुस्तकें और लेखक
भारतीय प्रागैतिहासिक चित्रकला: जगदीश गुप्त।
भारतीय चित्रकला पद्धति: शैलेंद्र नाथ डे।
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