1. परिचय
-
पूरा नाम: कट्टिंगेरी कृष्णा हेब्बर
-
जन्म: 1911, कट्टिंगेरी (उडुपी, कर्नाटक)
-
शिक्षा: जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट, मुंबई व एकेडमी जूलियन, पेरिस
-
पुरस्कार: पद्मश्री (1961), पद्मभूषण (1989), ललित कला अकादमी फ़ेलो
-
प्रेरणा: अजंता भित्तिचित्र, जैन पांडुलिपियाँ, मुगल मिनिएचर, अमृता शेरगिल, पॉल गॉग्विन
-
रुचि: संगीत, नृत्य (कथक, यक्षगान), लोकअनुष्ठान, ग्रामीण खेल
2. रेखाचित्रों की विशेषताएँ
-
एक ही रेखा में रचना – बिना पेन उठाए चित्र बनाना।
-
लघुतम से अधिकतम प्रभाव – कम रेखाएँ, गहरी अभिव्यक्ति।
-
संगीतमय प्रवाह – रेखाएँ नृत्य की भाँति बहती हैं।
-
भावनात्मकता – सरल रेखाओं में जीवन और संवेदना।
-
अमूर्तन (Abstraction) – रूपों को सरल व बढ़ाचढ़ा कर प्रस्तुत करना।
-
गति और लय – आकृतियाँ जीवंत, गतिशील लगती हैं।
3. मुख्य विषय-वस्तु
-
लोक जीवन और संस्कृति – यक्षगान, कंबला (भैंस दौड़), भूतकोला, मुर्गा लड़ाई, ग्रामीण दृश्य।
-
महाकाव्य चित्रण – सिलप्पदिकारम (तमिल महाकाव्य) → 51 रेखाचित्र।
-
भारतीय शिल्पकला – मंदिर मूर्तियों को सरल व लयबद्ध रूप में।
4. रेखा का महत्व
-
रेखा = भारतीय कला की आत्मा।
-
रेखा से व्यक्त: लय, रस, गति, भावनाएँ।
-
परंपरा + आधुनिकता का संगम।
-
शैली = भारतीय भाव + आधुनिक दृष्टिकोण।
5. “लयबद्ध रेखाचित्र” क्यों कहे जाते हैं?
-
रेखाएँ नृत्य के पैरों जैसी।
-
निरंतर, प्रवाहमयी, संगीतमय।
-
आकृतियाँ स्थिर नहीं, बल्कि ऊर्जा व लय से भरी।
6. योगदान
-
रेखाचित्र को स्वतंत्र कला रूप के रूप में स्थापित किया।
-
आधुनिक कलाकारों व डिज़ाइनरों को प्रेरित किया।
-
भारतीय परंपरा + आधुनिक प्रयोगधर्मिता का अद्वितीय संगम।
7. निष्कर्ष
-
हेब्बर ने सिद्ध किया कि केवल रेखा से ही सम्पूर्ण कला रची जा सकती है।
-
उनके लयबद्ध रेखाचित्र आज भी भारतीय आधुनिक कला की अनूठी धरोहर हैं।
-
कथन उपयुक्त है: “चित्रण केवल चलती हुई रेखा है।” – पॉल क्ले → यह शैली हेब्बर पर पूरी तरह फिट बैठती है।
✅ याद रखने की ट्रिक (हिन्दी में):
“एक रेखा – पूरा जीवन” 🎨
-
एक रेखा = बिना पेन उठाए चित्र
-
पूरा जीवन = लय, संगीत, नृत्य, भावनाएँ
0 टिप्पणियाँ