राजस्थान में चित्रकला का इतिहास एवं परिचय

 


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • प्रथम चित्रकार: तिब्बती इतिहासकार तारानाथ ने 7वीं शताब्दी में मारवाड़ के चित्रकार 'शृंगधर' का उल्लेख किया है, जिन्हें राजस्थानी चित्रकला का पहला चित्रकार माना जाता है।

  • चित्रकला का पितामह: केरल के प्रसिद्ध चित्रकार राजा रवि वर्मा को भारतीय चित्रकला का पितामह माना जाता है, जिन्होंने महाराणा प्रताप का सुंदर चित्र बनाया था।

  • प्राचीनतम ग्रंथ: राजस्थानी चित्रकला के सबसे प्राचीन उपलब्ध ग्रंथ 1060 ई. के 'ओध निर्युक्ति वृति' और 'दस वैकालिक सूत्र चूर्णि' हैं, जो जैसलमेर संग्रहालय में स्थित हैं। इन्हें भारतीय कला का द्वीप स्तंभ कहा जाता है।

  • पहला ताम्रपत्र ग्रंथ: राजस्थान में ताम्रपत्र पर चित्रित पहला उपलब्ध ग्रंथ 'श्रावक-प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णी' है।

    • वर्ष: 1260 ई.

    • स्थान: आहड़ (उदयपुर)

    • शासक: गुहिल वंशी शासक तेजसिंह

    • चित्रकार: कमलचन्द्र

  • दूसरा चित्रित ग्रंथ: 1423 ई. का 'सुपासनाह चरियम' (पार्श्वनाथ चरित्र), जिसे महाराणा मोकल के काल में हीरानंद द्वारा देवकुलपाटन (देलवाड़ा, सिरोही) में चित्रित किया गया था।

  • जन्मभूमि: राजस्थान में चित्रकला का आरंभ महाराणा कुंभा के काल से हुआ, इसलिए मेवाड़ को 'राजस्थान की चित्रकला की जन्मभूमि' कहा जाता है।

  • वैज्ञानिक विभाजन: आनंद कुमार स्वामी ने अपने ग्रंथ 'राजपूत पेंटिंग' में सर्वप्रथम राजस्थानी चित्रकला पर प्रकाश डाला और इसका वैज्ञानिक विभाजन किया।

  • आधुनिक चित्रकला: इसका श्रेय कुंदनलाल मिस्त्री को जाता है। इसके नमूने जयपुर म्यूजियम में हैं।


चित्रकला की प्रमुख विशेषताएँ

  • भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध: शेखावाटी और बूँदी।

  • ओपन आर्ट गैलरी: शेखावाटी।

  • आला-गीला/फ्रेस्को/अराईस पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध: शेखावाटी।

  • सोने-चांदी की पेंटिंग: महणसर (झुंझुनू)।

  • रंगों का प्रयोग: राजस्थानी चित्रकला में पीले और लाल रंगों का अधिक प्रयोग हुआ है।

  • विकास हेतु संस्थान: 'आयाम तथा कलाकृत संस्थान' जयपुर में स्थित है।


चित्रकला की पद्धतियाँ

  • जलरंग पद्धति: मुख्य रूप से कागज का प्रयोग होता है।

  • वाष पद्धति: केवल पारदर्शक रंगों का प्रयोग होता है।

  • पेस्टल पद्धति: सबसे शुद्ध चित्रण माध्यम।

  • टेम्परा पद्धति: गाढ़े अपारदर्शक रंगों का प्रयोग किया जाता है।


राजस्थान के चित्रकला संग्रहालय

  • पोथीखाना: जयपुर

  • पुस्तक प्रकाश: जोधपुर

  • जैन भण्डार: जैसलमेर

  • कोटा संग्रहालय: कोटा

  • अलवर संग्रहालय: अलवर

  • सरस्वती भण्डार: उदयपुर


चित्रकला के विकास हेतु राजस्थान में संस्थाएँ

  • जयपुर:

    • राजस्थान ललित कला अकादमी

    • पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र

    • क्रिएटिव आर्टिस्ट ग्रुप

    • कला वृत

    • आयाम

    • पैंग

  • उदयपुर:

    • टखमण-28

    • तुलिका कलाकार परिषद्

    • प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप

    • आज उदयपुर

  • जोधपुर:

    • चितेरा जोधपुर

    • धोरां

  • भीलवाड़ा:

    • अंकन


राजस्थानी चित्रकला के प्रसिद्ध ग्रंथ

  • श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि:

    • शैली: मेवाड़

    • चित्रकार: कमलचन्द्र

    • शासक: तेजसिंह

  • रागमाल, गीत गोविंद, रसिकप्रिया, भागवत पुराण:

    • शैली: मेवाड़

    • चित्रकार: साहिबद्दीन

    • शासक: जगतसिंह

  • आर्ष रामायण:

    • शैली: मेवाड़

    • चित्रकार: साहिबद्दीन व मनोहर

    • शासक: जगतसिंह

  • शुकरक्षैत्र महात्य्, भ्रमर गीत सार:

    • शैली: मेवाड़

    • चित्रकार: साहिबद्दीन

    • शासक: संग्रामसिंह 2

  • रागमाल:

    • शैली: चावण्ड़

    • चित्रकार: नसीरूद्दीन

    • शासक: अमरसिंह प्रथम

  • बणी-ठणी:

    • शैली: किशनगढ़

    • चित्रकार: निहालचंद

    • शासक: सांवन्त सिंह

  • चांदनी रात की संगोष्ठी:

    • शैली: किशनगढ़

    • चित्रकार: अमरचंद

    • शासक: सांवन्तसिंह

  • गुलास्तां:

    • शैली: अलवर

    • चित्रकार: बलदेव व गुलाम अली

    • शासक: विनयसिंह

  • आदिपुराण:

    • शैली: आमेर

    • चित्रकार: पुष्पदत्त

    • शासक: पृथ्वीराज

  • रागमाल:

    • शैली: कोटा

    • चित्रकार: डालू

    • शासक: गुमानसिंह

  • कल्पसूत्र:

    • शैली: मेवाड़

    • चित्रकार: धनसार

    • शासक: लाखा

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