कलपति गणपति सुब्रमण्यम, जिन्हें प्यार से 'मनीदा' भी कहा जाता था, एक बहुआयामी भारतीय कलाकार थे। वे एक साथ मूर्तिकार, चित्रकार, डिजाइनर, भित्ति चित्रकार और एक विचारक के रूप में जाने जाते थे। उनका जन्म 15 फरवरी 1924 को केरल के कुथुपरंबा में हुआ था और उनका निधन 29 जून 2016 को बड़ौदा में हुआ।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
गांधीवादी विचारधारा: के.जी. सुब्रमण्यम गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित थे और उन्होंने 1943 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिसके लिए उन्हें 6 महीने की जेल हुई।
कला शिक्षा: प्रेसीडेंसी कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री लेने के बाद, उन्होंने 1944-48 के दौरान शांति निकेतन के कला भवन से कला की शिक्षा ली।
कला गुरु: उन्होंने नंदलाल बोस, विनोद बिहारी मुखर्जी और रामकिंकर बैज जैसे महान कलाकारों के सानिध्य में कला सीखी।
विनोद बिहारी मुखर्जी के सहायक: 1947 में, उन्होंने शांति निकेतन के हिंदी भवन में विनोद बिहारी मुखर्जी को उनके प्रसिद्ध म्यूरल बनाने में सहयोग किया।
करियर और प्रमुख कार्यक्षेत्र
के.जी. सुब्रमण्यम ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं:
शिक्षक: 1951 में, उन्हें बड़ौदा के एम.एस. यूनिवर्सिटी के ललित कला संकाय में व्याख्याता बनाया गया।
प्रोफेसर और डीन: वह एम.एस. यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और डीन भी रहे।
शांति निकेतन में वापसी: 1980 में, वे शांति निकेतन के कला भवन में प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए और 1989 में सेवानिवृत्त होने तक इस पद पर रहे।
क्राफ्ट्स काउंसिल ऑफ इंडिया: 1974 से 1976 तक, वे क्राफ्ट्स काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे।
कलात्मक शैली और तकनीक
सुब्रमण्यम अपनी कला में विभिन्न माध्यमों और तकनीकों का प्रयोग करने के लिए जाने जाते थे।
प्रभाव: वे घनवाद (Cubism) और मातिस (Matisse) की कला से प्रभावित थे।
माध्यम और तकनीक: उन्होंने कैनवास के बजाय एक्रेलिक और प्लास्टिक शीट पर अधिक काम किया। उन्होंने रिवर्स पेंटिंग की तकनीक का भी प्रयोग किया। वे टेराकोटा रिलीफ के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं।
प्रमुख चित्र श्रृंखला और म्यूरल्स:
खाकी चित्र श्रृंखला: उनकी एक प्रसिद्ध श्रृंखला है।
थ्री मिथोलोजिकल गॉडेसेज (1988): शांति निकेतन के कला भवन में निर्मित म्यूरल।
किंग ऑफ द चैंबर्स (1962-63): लखनऊ स्थित रवींद्रालय रंगशाला के बाहरी हिस्से पर निर्मित यह एक विशाल म्यूरल है, जो 81 फीट लंबा और 5 फीट ऊँचा है। इसे 13,000 टेराकोटा टाइलों से बनाया गया था।
प्रसिद्ध कलाकृतियाँ और पुस्तकें
प्रसिद्ध चित्र:
'गुलाबी औरत, नीला आदमी' (1980)
'फेअरी टेल्स फ्रॉम पूर्वपल्ली' (एक्रेलिक शीट पर मिश्रित माध्यम)
'खिड़की' (कागज पर सिल्क)
'मशरूम ग्रोथ' (1970)
'स्टिल लाइफ विद टर्निंग वुमन'
'पाट्स ऑफ क्लावर एंड डाग्स'
'वार्डरोब ड्रामा'
'बांग्लादेश शृंखला'
प्रमुख पुस्तकें:
'मूविंग फोकस: भारतीय कला पर निबंध' (1978)
'द लिविंग ट्रेडीशन' (1987)
'द क्रिएटिव सर्किट' (1992)
'द मैजिक ऑफ मेकिंग: एस्से ऑन आर्ट एंड कल्चर' (2007)
पुरस्कार और सम्मान
के.जी. सुब्रमण्यम को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले:
पद्म श्री: 1975
पद्म भूषण: 2006
पद्म विभूषण: 2012
कालिदास सम्मान: 1981
बॉम्बे आर्ट सोसाइटी द्वारा: 1957-1959
महाराष्ट्र राज्य प्रदर्शनी: 1961 में प्रथम पुरस्कार।
ललित कला अकादमी फेलो: 1965 में निर्वाचित।
साओ पाओलो, ब्राजील द्वारा: 1961 में विशिष्ट सम्मान पदक।
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