जन्म: 28 मार्च, 1483 को उर्बिनो, इटली में।
उपाधि: उन्हें अक्सर 'डिवाइन पेंटर' (दिव्य चित्रकार) कहा जाता है, क्योंकि उनके चित्रों में आध्यात्मिकता, संतुलन और सौंदर्य का अद्भुत मिश्रण था।
गुरु: रैफेल ने 17 वर्ष की उम्र में महान चित्रकार पेरुजिनो के साथ काम करना शुरू किया।
महत्व: वे उच्च पुनर्जागरण के तीन प्रमुख कलाकारों में सबसे छोटे थे। उन्हें समूह संयोजन का आचार्य माना जाता है।
कलात्मक यात्रा और प्रमुख कार्य
प्रारंभिक कार्य:
'सैनिक का स्वप्न' (The Knight's Dream): यह उनका एक प्रारंभिक चित्र है, जो वर्तमान में लंदन की नेशनल गैलरी में है।
'द मैरिज ऑफ द वर्जिन' (The Marriage of the Virgin): 1504 में बना यह चित्र उनके गुरु पेरुजिनो की शैली से प्रभावित है, लेकिन इसमें रैफेल की अपनी अनूठी प्रतिभा भी दिखती है।
फ्लोरेंस में प्रभाव:
फ्लोरेंस में, रैफेल लियोनार्डो दा विंची और माइकल एंजेलो से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने लियोनार्डो के प्रसिद्ध चित्र 'लीडा और हंस' का एक रेखाचित्र भी बनाया।
उनकी कृति 'घूँघट वाली महिला' लियोनार्डो की 'मोना लिसा' से प्रभावित मानी जाती है।
वेटिकन में कार्य:
पॉप जूलियस द्वितीय और लियो दशम के लिए वेटिकन में किए गए कार्य उनके करियर का चरमोत्कर्ष थे।
'एथेंस का स्कूल' (The School of Athens): 1509-1511 के बीच बनाया गया यह भित्तिचित्र उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति है। यह दर्शन, गणित और कला के महान विचारकों को एक साथ लाता है, जिसमें प्लेटो और अरस्तू केंद्र में हैं।
'सिस्टाइन मैडोना' (Sistine Madonna): मैडोना के चित्रों की उनकी शृंखला में यह सबसे प्रसिद्ध है, जिसमें उन्होंने मैडोना को आध्यात्मिक भव्यता के साथ चित्रित किया है।
विरासत
रैफेल ने अपने छोटे जीवनकाल (37 वर्ष) में लगभग 15 मैडोना के चित्र बनाए, जिसके लिए उन्हें विशेष प्रसिद्धि मिली।
1514 में, वे सेंट पीटर गिरजाघर के प्रमुख वास्तुशिल्पी भी बने।
उनकी अंतिम और अधूरी कृति 'ईसा का दिव्य शरीर धारण करना' (The Transfiguration) थी, जिसे उनके शिष्य जुलियो रोमानो ने पूरा किया।
उनकी कला में आध्यात्मिकता, आदर्शवाद और सामंजस्य का अद्भुत संयोजन है, जिसने आने वाली पीढ़ियों के कलाकारों को प्रेरित किया।
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