परिचय
जन्म: 19 अप्रैल 1915 को खड़गपुर, पश्चिम बंगाल में।
निधन: 3 अक्टूबर 2005 को कलकत्ता में, 90 वर्ष की आयु में।
पेशे: वे एक मूर्तिकार और चित्रकार दोनों थे।
पत्नी: अमीना कर।
शिक्षा और कलात्मक शैली
कला गुरु:
पेंटिंग और मूर्तिकला की शिक्षा उन्होंने इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट से ली।
मूर्तिकला के गुरु गिरिधारी महापात्रा (उड़ीसा के पारंपरिक मूर्तिकार) और विक्टर जियोवेनेली थे।
विदेशी शिक्षा: 1938 में पेरिस जाकर एकेडमी डे ला ग्रांड चौमीरे में अध्ययन किया।
शैली:
उन्हें शुरू में एक अकादमिक और प्रतिनिध्यात्मक (representational) शैली में प्रशिक्षित किया गया था, लेकिन उन्होंने बाद में अमूर्त शैली में भी काम किया।
उनके मूर्तिशिल्प में लकड़ी, टेराकोटा, पत्थर और धातु जैसे विभिन्न माध्यमों का उपयोग होता था।
प्रमुख उपलब्धियाँ और सम्मान
ओलंपिक पदक: 1948 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में उन्होंने अपने काम के लिए रजत पदक जीता।
राष्ट्रीय सम्मान:
पद्म भूषण: 1974 में भारत सरकार द्वारा दिया गया।
फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान: 2000 में।
देशिकोत्तम: विश्व भारती विश्वविद्यालय से।
अन्य उपलब्धियाँ:
1956-73: कलकत्ता के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स के प्रधानाचार्य रहे।
1946: लंदन की ब्रिटिश मूर्तिकारों की रॉयल सोसाइटी के सदस्य बने।
फिल्म: उनके ऊपर दो लघु फिल्में बनीं: 'द ग्रेवन इमेज' और 'द स्कल्पचर स्पीक्स'।
प्रमुख कृतियाँ
'स्केटिंग व स्टैग': कांस्य से बना यह शिल्प 1948 के ओलंपियाड में पुरस्कृत हुआ था। यह गति में संतुलन और उड़ने की मुद्रा को दर्शाता है।
'उड़ान' (Udaan): महोगनी की लकड़ी से बना यह प्रसिद्ध मूर्तिशिल्प राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, नई दिल्ली में संग्रहित है।
'उषा व साबितार': टेराकोटा से बनी इस कृति में कल्पनाशीलता (fantasy) दिखती है।
'बैठी हुई नारी आकृति': टेराकोटा से बनी इस मूर्ति में अद्भुत घनत्व है।
'मदर व चाइल्ड': यह एक मूलभूत संबंध को दर्शाता है।
'ड्रायड्स' (1964): टेराकोटा से बनी एक और महत्वपूर्ण कृति।
अन्य तथ्य
पक्षी अभयारण्य: एक पक्षी अभयारण्य का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है, क्योंकि उन्होंने उसके वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया था।
0 टिप्पणियाँ