मृणालिनी मुखर्जी (1949-2015)

परिचय

  • जन्म: 1949 में मुंबई में।

  • निधन: 21 फरवरी 2015 को दिल्ली में, 65 वर्ष की आयु में।

  • पारिवारिक पृष्ठभूमि:

    • पिता: प्रसिद्ध चित्रकार विनोद बिहारी मुखर्जी

    • माता: मूर्तिकार लीला मुखर्जी

  • पहचान: आधुनिक भारतीय मूर्तिकला में एक महत्वपूर्ण कलाकार। उन्हें मुख्य रूप से जूट की रस्सी और प्राकृतिक रेशों से मूर्तियाँ बनाने के लिए जाना जाता है।


शिक्षा और कलात्मक शैली

  • शिक्षा:

    • 1970 में कला महाविद्यालय, बड़ौदा से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

    • 1970-1972 के दौरान, उन्होंने प्रोफेसर के.जी. सुब्रमण्यम के निर्देशन में म्यूरल डिज़ाइन में पोस्ट-डिप्लोमा किया। इसी दौरान उन्होंने प्राकृतिक रेशों का प्रयोग करना शुरू किया।

  • माध्यम:

    • उन्होंने मुख्य रूप से जूट की रस्सी, सुतली, और डोरी का उपयोग करके गांठदार त्रिआयामी (three-dimensional) मूर्तियाँ बनाईं।

    • बाद में उन्होंने कांस्य धातु और सेरेमिक माध्यमों में भी काम किया।

  • शैली और विषय:

    • उनकी कला शैली आधुनिक और प्रयोगवादी थी।

    • उनकी विषय-वस्तु मुख्य रूप से प्रकृति, देवी-देवताओं और लोक-कथाओं से संबंधित होती थी।

    • उन्होंने अपनी मूर्तियों में धातु के छल्लों का प्रयोग कर उन्हें एक विशिष्ट आकार दिया।


उपलब्धियाँ और सम्मान

  • अंतर्राष्ट्रीय पहचान: वह पहली भारतीय कलाकार थीं जिनके काम को 1986 में सिडनी बिएनाले में प्रदर्शित किया गया था।

  • प्रदर्शनियाँ:

    • 1994-95 में ऑक्सफोर्ड के म्यूज़ियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में उनकी मूर्तियों की प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिसे डेविड इलियट ने प्रायोजित किया था।

    • 1997 में राष्ट्रीय प्रदर्शनी, ललित कला अकादमी, नई दिल्ली में।

    • 1986 में हॉलैंड में एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग लिया।

  • पुरस्कार:

    • 1970 में ऑल इंडिया फाइन आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स सोसाइटी, नई दिल्ली की वार्षिक प्रदर्शनी में पुरस्कार।

    • 1996 में रूपांकर बिएनाले, भारत भवन, भोपाल से पुरस्कृत।

  • अन्य तथ्य:

    • उन्हें 1971-78 तक ब्रिटिश काउंसिल से मूर्तिकला में काम करने के लिए वजीफा मिला था।

    • उनके चित्रों का संग्रह किरण नाडार म्यूज़ियम, दिल्ली में है।


प्रमुख कलाकृतियाँ

  • वनश्री (Vanashree): जूट की रस्सियों से बनी एक प्रमुख कृति।

  • वनराजा (Vanraja): एक मूर्तिशिल्प जिसमें सिंह को सीधी खड़ी मुद्रा में दिखाया गया है।

  • अन्य मूर्तियाँ और चित्र:

    • वाहन

    • वूमेन ऑन पीकॉक

    • बंसी

    • योगिनी (भारत भवन, भोपाल में संग्रहित)

    • वाटरफॉल

    • पुष्प

    • पाम स्केप शृंखला (कांस्य में)

    • मिसेज़ जी (तैल चित्र)

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