भारतीय चित्रकला में शेर का चित्रण

 भारतीय चित्रकला में शेर का चित्रण एक समृद्ध और विविध परंपरा का हिस्सा है, जो प्राचीन काल से ही विभिन्न संस्कृतियों, राज्यों, और धर्मों में दिखाई देता है। शेर भारतीय कला में केवल एक पशु न होकर, शक्ति, साहस, और शौर्य का प्रतीक है और इसे कई रूपों में दर्शाया गया है। 

1. मुगल चित्रकला में शेर मुगल चित्रकला में शेर को काफी विस्तृत और यथार्थवादी शैली में चित्रित किया गया। विशेष रूप से अकबर और जहांगीर के शासनकाल में शिकार के दृश्य और वन्यजीवन का चित्रण आम था। शेरों के साथ बादशाहों की शक्ति और साहस को दिखाने का प्रयास किया जाता था। इस कला में शेर को शाही रूप से दर्शाया गया, जिसमें उसके बालों, मांसपेशियों और हावभाव पर बारीक ध्यान दिया गया। 
2. राजस्थानी चित्रकला में शेर राजस्थानी चित्रकला में शेर को बहुत ही भव्य और रंगीन रूप में दर्शाया गया है। यहाँ शेरों को नायकत्व और शौर्य का प्रतीक माना जाता है। राजस्थान के विभिन्न स्कूलों जैसे मेवाड़, बूँदी और कोटा में शेर को रानी और राजा के साथ दिखाया गया, जो उनकी रक्षा करने का प्रतीक है। यह चित्रण शाही गौरव और पराक्रम का सूचक है। 
3. पौराणिक चित्रकला और देवी दुर्गा का वाहन भारतीय मिथकों में शेर को शक्ति की देवी दुर्गा का वाहन माना जाता है। देवी दुर्गा को शेर पर बैठे हुए चित्रित किया जाता है, जो उनके अद्वितीय साहस और शक्ति का प्रतीक है। इस चित्रण में शेर देवी के साथ सहस्राब्दियों से जुड़ा हुआ है, और इसे नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। 
4. मधुबनी और अन्य लोककला में शेर भारतीय लोककला जैसे मधुबनी, वारली, और पिथौरा चित्रकला में शेर का चित्रण अधिक प्रतीकात्मक और पारंपरिक शैली में किया जाता है। यहाँ शेर को सुंदर पैटर्न और ज्यामितीय आकृतियों में दर्शाया गया है। लोककला में शेर का चित्रण एक संरक्षक के रूप में किया जाता है, जो गाँव और उसके लोगों की रक्षा करता है। 
5. आधुनिक भारतीय चित्रकला में शेर आधुनिक भारतीय चित्रकला में शेर का चित्रण अलग-अलग रूपों में किया गया है। अब कलाकार शेर को अधिक अभिव्यक्तिपूर्ण और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में दर्शाते हैं। कई आधुनिक कलाकार शेर का उपयोग सामाजिक संदेशों को व्यक्त करने के लिए भी करते हैं, जैसे पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, आदि। भारतीय चित्रकला में शेर के विभिन्न चित्रण दर्शाते हैं कि यह एक सार्वभौमिक प्रतीक है, जो कई संदर्भों में शक्ति, सम्मान और साहस का प्रतीक है। इसके माध्यम से भारतीय कलाकारों ने एक मजबूत सांस्कृतिक धरोहर का निर्माण किया है।
सन 1887 में एडविन लोर्ड द्वारा बनाई गई यह पेंटिंग राजा के महल का शानदार दृश्य पेश करती हैं। इसमें राजा शेर कैसे रखते थे महलों में दर्शाया गया है. चित्र साभार Sadanand Tiwari की फेसबुक id से

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