भारतीय मंदिर स्थापत्य का विकास पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए हुआ था। समय के साथ, इन मंदिरों में अधिक जटिल संरचनाएँ जोड़ी गईं, जैसे कि मंडप, अर्धमंडप, और गर्भगृह।
मंदिरों की प्रमुख शैलियाँ
भारत में मंदिर स्थापत्य की दो मुख्य शैलियाँ हैं:
नागर शैली (उत्तर भारत): यह शैली उत्तर भारत में प्रचलित है।
द्रविड़ शैली (दक्षिण भारत): यह शैली दक्षिण भारत में प्रचलित है।
वेसर शैली: यह नागर और द्रविड़ शैलियों का मिश्रित रूप है।
नागर शैली (उत्तर भारतीय मंदिर)
नागर शैली के मंदिरों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
विशाल चबूतरा (वेदी): मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर निर्मित होते हैं।
गर्भगृह: मुख्य देवता की मूर्ति यहाँ स्थापित होती है।
शिखर: मंदिर के ऊपर एक विशिष्ट गुंबद होता है जिसे शिखर कहते हैं।
अलंकरण: मंदिर की बाहरी दीवारों पर देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ और अष्ट दिग्पालों की मूर्तियाँ स्थापित होती हैं।
नागर शैली के प्रमुख उदाहरण
गुप्तकालीन मंदिर (मध्य भारत): ये मंदिर बलुआ पत्थर से बने हैं।
देवगढ़ का मंदिर (उत्तर प्रदेश): यह गुप्तकालीन मंदिर स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह पंचायतन शैली में निर्मित है और इसका शिखर रेखा प्रसाद शैली का है।
खजुराहो के मंदिर (चंदेल शासक):
लक्ष्मण मंदिर: यह विष्णु को समर्पित है, जो एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है और इसमें चार छोटे देवालय हैं।
कंदरिया महादेव मंदिर: यह मध्यकालीन भारतीय मंदिर निर्माण की श्रेष्ठता को दर्शाता है। यहाँ की कामोत्तेजक और श्रृंगार प्रधान प्रतिमाएँ प्रसिद्ध हैं।
खजुराहो में हिंदू और जैन दोनों तरह के मंदिर पाए जाते हैं।
ओडिशा: यहाँ की नागर शैली में रेखा-पीढ़, देउल, और खाकरा जैसी उप-शैलियाँ हैं।
कोणार्क का सूर्य मंदिर: यह ओडिशा शैली का एक भव्य उदाहरण है।
द्रविड़ शैली (दक्षिण भारतीय मंदिर)
द्रविड़ शैली के मंदिरों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
चारदीवारी और गोपुरम: मंदिर परिसर चारों ओर से एक दीवार से घिरा होता है, जिसमें विशाल प्रवेश द्वार, जिसे गोपुरम कहते हैं, होता है।
विमान (गुंबद): गुंबद सीढ़ीदार पिरामिड की तरह होता है, जिसके ऊपर एक छोटी स्तूपिका होती है।
प्रमुख उदाहरण:
पल्लव वंश: महाबलीपुरम में तटीय मंदिर (शोर मंदिर)।
चोल वंश: तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर, जो सबसे ऊँचे और विशाल विमान के लिए प्रसिद्ध है।
होयसल वंश: बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुरम के मंदिर तारकीय योजना में बने हैं।
बौद्ध और जैन स्थापत्य
हिंदू मंदिरों के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्मों ने भी अपने स्थापत्य का विकास किया।
बौद्ध स्थापत्य:
बोधगया का महाबोधि मंदिर: यह एक विशेष शैली में निर्मित है, जिसमें नागर और द्रविड़ शैली का मिश्रण है।
नालंदा महाविहार: यह एक विशाल मठीय विश्वविद्यालय था, जिसमें पाल शैली की मूर्तियां पाई गई हैं।
कांसे की प्रतिमाएँ: पाल शैली के कांस्य शिल्प सारनाथ की गुप्तकालीन परंपरा से विकसित हुए।
जैन स्थापत्य:
माउंट आबू (राजस्थान): यहाँ दिलवाड़ा मंदिर (विमल शाह द्वारा निर्मित) अपने उत्कृष्ट संगमरमर की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं।
श्रवणबेलगोला (कर्नाटक): यहाँ गोमटेश्वर (बाहुबली) की विशाल एकाश्म प्रतिमा स्थित है।
देवगढ़ (मध्य प्रदेश): यहाँ भी जैन मंदिर पाए गए हैं।
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