एलिफेंटा की गुफाएँ: मूर्तिकला का अद्भुत संसार

अवलोकन

  • स्थान: एलिफेंटा गुफाएँ मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से लगभग 10 किलोमीटर दूर 'धारापुरी' नामक द्वीप पर स्थित हैं।

  • नामकरण: गुफा के बाहर एक विशाल हाथी की प्रतिमा होने के कारण पुर्तगालियों ने इस द्वीप का नाम एलिफेंटा रखा। यह प्रतिमा वर्तमान में मुंबई के विक्टोरिया गार्डन संग्रहालय के बाहर रखी है।

  • समयकाल: इन गुफाओं का निर्माण 600 ईस्वी से 900 ईस्वी के बीच माना जाता है।

  • राजवंश: इनका निर्माण मुख्य रूप से राष्ट्रकूट शासकों के काल में हुआ, हालांकि कुछ विद्वान इन्हें कलचुरी या कोंकण के मौर्य शासकों से भी जोड़ते हैं।

  • महत्व: एलिफेंटा अपनी मूर्तिकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ की अधिकांश मूर्तियाँ भगवान शिव को समर्पित हैं।

  • विश्व धरोहर: 1987 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।


गुफाएँ और प्रमुख कलाकृतियाँ

एलिफेंटा द्वीप पर कुल 7 गुफाएँ हैं, जिनमें से 5 हिंदू धर्म से और 2 बौद्ध धर्म से संबंधित हैं।

  • गुफा संख्या 1 (ग्रेट गुफा):

    • यह सबसे प्रमुख गुफा है और इसमें भगवान शिव से संबंधित कई मूर्तियाँ हैं।

    • महेश मूर्ति (त्रिमूर्ति): यह गुफा की सबसे सुंदर और सबसे महत्वपूर्ण मूर्ति है, जिसमें भगवान शिव के तीन चेहरे (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) दिखाए गए हैं। इसकी ऊँचाई लगभग 18 फीट है।

    • शिव तांडव नृत्य (नटराज): शिव को उनकी भावमग्न नृत्य मुद्रा में दर्शाया गया है।

    • शिव-पार्वती विवाह: यह एक सुंदर मूर्ति है जिसमें पार्वती के पिता हिमवान उन्हें शिव को सौंपते हुए दिखाए गए हैं।

    • अर्धनारीश्वर: शिव को आधा पुरुष और आधा नारी के रूप में दर्शाया गया है।

    • रावण द्वारा कैलाश पर्वत को उठाना: इस मूर्ति में रावण को कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास करते हुए दिखाया गया है, जबकि शिव उसे अपने पैर से दबाकर शांत करते हैं।

    • शिव गंगाधर रूप: इस मूर्ति में शिव गंगा को अपनी जटाओं में धारण करते हुए दिखाए गए हैं।

  • अन्य गुफाएँ:

    • गुफा संख्या 2 से 5 को कैनन हिल के नाम से जाना जाता है।

    • गुफा संख्या 6 को सीताबाई गुफा कहते हैं, जो बौद्ध धर्म से संबंधित है।


मूर्तियों की विशेषताएँ

  • यहाँ की मूर्तियाँ पत्थर को तराशकर बनाई गई हैं और इनमें भारतीय शास्त्रीय कला की परिपक्वता दिखाई देती है।

  • मूर्तियाँ अपने भावों की गहनता और गतिशीलता के लिए प्रसिद्ध हैं, विशेषकर तांडव नृत्य और रावण द्वारा कैलाश उठाने के दृश्यों में।

  • त्रिमूर्ति में दर्शाए गए चेहरे विभिन्न भावों (सृजन, संरक्षण, और विनाश) को व्यक्त करते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ