एलोरा की गुफाएँ: भारतीय कला और स्थापत्य का संगम


अवलोकन

  • स्थान: एलोरा की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं, जो अजंता की गुफाओं से लगभग 135 किमी दूर हैं।

  • समयकाल: इनका निर्माण 4वीं से 12वीं शताब्दी के बीच हुआ था।

  • प्राचीन नाम: इसके शिलालेखों के अनुसार, इसका प्राचीन नाम 'एलापुर अंचल' था। इसे स्थानीय रूप से 'वेरुल' भी कहा जाता है।

  • खोज: यद्यपि इनकी खोज का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया जाता, लेकिन ये गुफाएँ राष्ट्रकूट शासकों के संरक्षण में विकसित हुईं।

  • धर्म: एलोरा भारत की एकमात्र ऐसी गुफाएँ हैं जिनमें बौद्ध, ब्राह्मण (हिंदू) और जैन तीनों धर्मों से संबंधित कलाकृतियाँ पाई जाती हैं।

  • कुल गुफाएँ: यहाँ कुल 34 गुफाएँ हैं।

    • बौद्ध गुफाएँ: 1 से 12 (350-700 ईस्वी)

    • ब्राह्मण गुफाएँ: 13 से 29 (8वीं-10वीं शताब्दी)

    • जैन गुफाएँ: 30 से 34 (9वीं-12वीं शताब्दी)

  • विश्व धरोहर: 1983 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।


प्रमुख गुफाएँ और उनका महत्व

  • गुफा संख्या 10 (सुतार झोंपड़ी): यह एक चैत्य गुफा है, जिसमें विश्वकर्मा की प्रतिमा है।

  • गुफा संख्या 14 (रावण की खाई): इसमें रावण द्वारा कैलाश पर्वत को उठाने का प्रसिद्ध दृश्य उत्कीर्ण है।

  • गुफा संख्या 15 (दशावतार): यह गुफा राष्ट्रकूट राजा दंतिदुर्ग द्वितीय ने बनवाई थी और इसमें भगवान विष्णु के दशावतारों को दर्शाया गया है।

  • गुफा संख्या 16 (कैलाश मंदिर):

    • यह एलोरा की सबसे महत्वपूर्ण गुफा है, जिसे राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम ने बनवाया था।

    • यह एक विशाल, एकल-पाषाण मंदिर है, जिसे पहाड़ को ऊपर से नीचे की ओर तराशकर बनाया गया है।

    • इसकी लंबाई 143 फीट और ऊँचाई 100 फीट है।

    • इसमें रावण द्वारा कैलाश पर्वत को उठाने और नटराज की मूर्तियाँ प्रमुख हैं।

  • गुफा संख्या 21 (रामेश्वर): इसमें शिव और शक्ति के विभिन्न रूपों की मूर्तियाँ हैं।

  • गुफा संख्या 32 (इंद्रसभा): यह दो मंजिला जैन गुफा है, जिसमें जैन तीर्थंकरों की मूर्तियाँ हैं।

  • गुफा संख्या 33 (जगन्नाथ सभा): यह भी एक जैन गुफा है।


चित्रण और मूर्तिकला की विशेषताएँ

  • एलोरा मुख्य रूप से अपनी स्थापत्य कला और मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है, जबकि अजंता अपने चित्रों के लिए प्रसिद्ध है।

  • कैलाश मंदिर का निर्माण एकल-पाषाण शैली में हुआ है।

  • यहाँ की मूर्तियों में अपभ्रंश शैली के लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे सवा चश्म चेहरे, नुकीली नाक और परले गाल से बाहर निकली आँखें।

  • इन गुफाओं में पासर्श्वनाथ, महावीर स्वामी और गोमतेश्वर बाहुबली की कई मूर्तियाँ भी मिली हैं।

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