परिचय
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उद्भव: बिहार का मिथिला क्षेत्र → इसलिए इसे मिथिला पेंटिंग भी कहते हैं।
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परंपरा: प्रारम्भ में महिलाएँ करती थीं, आजकल पुरुष भी करते हैं।
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पहचान: चटकीले, मटमैले रंग + रेखा चित्र + सम्पूर्ण भराव (कोई जगह खाली नहीं रहती)।
2. सामग्री व रंग-निर्माण
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चित्रांकन की सतह: ताज़ी पुताई की गई दीवारें / कच्ची मिट्टी → अब कागज़, कपड़ा, कैनवास।
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प्राकृतिक रंग (स्थानीय स्रोतों से):
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काला → काजल + गोबर
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पीला → हल्दी, पराग, नीबू/बरगद का दूध
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लाल → कुसुम के फूल का रस, लाल चंदन
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हरा → कठबेल वृक्ष की पत्तियाँ
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सफेद → चावल का चूर्ण
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नारंगी → पलाश के फूल
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विशेषता: रंग सपाट (Flat) भरे जाते हैं, न शेडिंग होती है, न खाली स्थान छोड़ा जाता है।
3. विषय-वस्तु
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धार्मिक / पौराणिक कथाएँ: कृष्ण, राम, शिव, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, सूर्य, चन्द्रमा।
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सामाजिक जीवन: विवाह, राजदरबार, उत्सव, लोक-समारोह।
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प्रकृति: तुलसी का पौधा, पशु-पक्षी, फूल-पत्तियाँ।
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खाली जगह भराव: ज्यामितीय डिज़ाइन, बेल-बूटे, प्राकृतिक आकृतियाँ।
4. परंपरा और संरक्षण
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कला पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित।
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डिज़ाइन व नमूने परंपरागत ढंग से सुरक्षित रखे जाते हैं।
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अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड + भारत सरकार ने महिलाओं को हाथ से बने कागज़ पर मधुबनी बनाने और बेचने के लिए प्रोत्साहित किया।
5. महत्व और बाज़ार
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आमदनी का साधन – कृषि के अलावा महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता।
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आज यह कला विश्व स्तर पर प्रसिद्ध।
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मिथिला की महिलाओं की उपाय-कुशलता (Resourcefulness) की प्रशंसा का प्रतीक।
🎯 याद रखने की शॉर्ट ट्रिक
“मिथिला की महिलाएँ चटकीले रंगों से राम-सीता और प्रकृति के चित्र बनाकर कागज़-कपड़े पर पूरी दुनिया में पहचान बना रही हैं।”
मधुबनी चित्रकला (मिथिला आर्ट) – याद रखने की ट्रिक
1. स्थान व पहचान
👉 मिथिला = मधुबनी (बिहार)
👉 महिलाओं की परंपरागत कला (आज पुरुष भी जुड़ गए)
📌 ट्रिक:
“मधुबनी = मिथिला = महिलाओं की मस्तीभरी कला”
2. विशेषताएँ
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चटकीले व मटियाले रंग
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रेखाचित्र और आकृतियाँ
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कोई जगह खाली नहीं छोड़ी जाती
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शेडिंग नहीं, केवल सपाट रंग
📌 ट्रिक:
“मधुबनी = रंग भरे बिना खाली जगह नहीं छोड़ी जाती”
3. रंगों का स्रोत 🌈
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काला – काजल + गोबर
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पीला – हल्दी / नींबू + बरगद का दूध
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लाल – कुसुम के फूल / लाल चंदन
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हरा – कठबेल पत्तियाँ
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सफेद – चावल का चूर्ण
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संतरी – पलाश के फूल
📌 ट्रिक:
“काला काजल-गोबर, पीली हल्दी-दूध, लाल कुसुम-चंदन, हरा कठबेल, सफेद चावल, संतरी पलाश।”
4. विषय-वस्तु 🕉️
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देवी-देवता: कृष्ण, राम, शिव, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती
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सूर्य-चंद्र, तुलसी
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राजदरबार, सामाजिक उत्सव
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फूल-पत्ती, पशु-पक्षी, ज्यामितीय डिजाइन
📌 ट्रिक:
“देव-प्रकृति-संस्कार = मधुबनी का संसार।”
5. आर्थिक महत्त्व 💰
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कृषि के अलावा आय का साधन
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हस्तशिल्प बोर्ड + भारत सरकार ने प्रोत्साहन दिया
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आज वैश्विक स्तर पर मान्यता
📌 ट्रिक:
“मधुबनी = मिथिला की महिलाएँ + बाजार की पहचान।”
📝 शॉर्ट माइंड-मैप (याद रखने का तरीका)
📍 मधुबनी = मिथिला
➡️ विशेषताएँ = रंग भरकर, खाली जगह न छोड़ना
➡️ रंग = काला (काजल-गोबर), पीला (हल्दी), लाल (कुसुम), हरा (कठबेल), सफेद (चावल), संतरी (पलाश)
➡️ विषय = देवी-देवता + प्रकृति + समाज
➡️ महत्त्व = आय + हस्तशिल्प बोर्ड + विश्व प्रसिद्ध
👉 अब अगर परीक्षा में पूछा जाए, तो आपको केवल यह ट्रिक-लाइन याद रखनी है:
“मधुबनी – मिथिला की महिलाओं की कला, चटकीले रंग, कोई जगह खाली नहीं, काला-पीला-लाल-हरा-सफेद-संतरी रंग, विषय = देव-प्रकृति-समाज, आज आय का साधन।”
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